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यह तकनीक बढ़ाएगी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की याददाश्त

आईआईएसईआर भोपाल के इस शोध से एआई जगत में आएगी क्रांति

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Dec 30, 2024

भोपाल. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (आइआइएसइआर) भोपाल के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विनोद कुर्मी और उनकी पीएचडी छात्रा परिनीता नेमा ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) और मशीन लर्निंग के क्षेत्र में एक नई तकनीक विकसित की है। इस पर बीते एक साल से रिसर्च किया जा रहा था। यह तकनीक 'फ्यू-शॉट क्लास इंक्रीमेंटल लर्निंग' को अधिक प्रभावी बनाती है। इसमें नई जानकारी सिखाते समय पुरानी जानकारी को बनाए रखा जा सकता है। इस रिसर्च को विंटर कॉन्फ्रेंस ऑन कॉम्पिटर विजन(डब्ल्यूएसीवी) में प्रजेंट किया जाएगा। जिसकी अनुमति अक्टूबर माह में मिल चुकी है।

एआइ की 'कैटास्ट्रोफिक फॉरगेटिंग' समस्या होगी दूर
एआइ में एक बड़ी समस्या "कैटास्ट्रोफिक फॉरगेटिंग" होती है। यानी जब एआइ मॉडल को नई जानकारी सिखाई जाती है तो वह पुरानी जानकारी को भूलने लगता है। जैसे- एआइ मॉडल को पहले कारों की पहचान करना सिखाया गया है। इसके बाद उसी एआइ को फूलों की पहचान करना सिखाया जाता है। ऐसे करने पर एआइ की कारों की पहचान क्षमता कमजोर होने लगती है। इसी तरह फूलों की जगह कोई अन्य विषय की पहचान कराने पर, फूलों की पहचान क्षमता कमजोर होने लगती है।

एआइ की कन्फ्यूजन होगी दूर
डॉ. विनोद और परिनीता ने इस समस्या से बचने के लिए 'फीचर ऑग्मेंटेशन ड्रिवन कॉन्ट्रास्टिव लर्निंग' नामक तकनीक विकसित की है। इससे मॉडल में नई जानकारी के लिए पहले से ही जगह तैयार कर दी जाती है और नए फीचर्स को अलग पहचान दी जाती है। इसके साथ 'सेल्फ-सुपरवाइज्ड कॉन्ट्रास्टिव लॉस' का प्रयोग किया जाता है, जो मॉडल में पुराने और नए वर्गों के बीच स्पष्ट अंतर बनाए रखने में सहयोग करता है।

Published on:
30 Dec 2024 01:36 am
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