- समझौते के तहत 4 मार्च से 20 मार्च तक छोड़ा जाना था भाखड़ा नहर में 1200 क्यूसेक पानी
दिनभर यह रहा घटना क्रम
सोमवार सुबह पूर्व में हुए समझौते के अनुसार भाखड़ा नहर में 1250 क्यूसेक पानी चलाने की मांग को लेकर किसानों ने सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता कार्यालय में धरना लगा दिया। भारतीय किसान यूनियन के नेतृत्व में किसानों ने जमकर नारेबाजी की। किसान प्रतिनिधियों का कहना था कि सिंचाई विभाग के पास किसानों को देने के लिए पानी नहीं है जबकि हरीके हैड से रोजाना पानी पाकिस्तान जा रहा है। पानी को पाकिस्तान जाने से रोकने की तरफ विभाग की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। किसान नेता संदीप सिंह ने बताया कि जनवरी माह में किसान प्रतिनिधियों की बैठक में प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से आश्वस्त किया गया था कि भाखड़ा नहर में 4 मार्च से 20 मार्च के बीच 1200 क्यूसेक पानी चलाया जाएगा। वे मुख्य अभियंता से मिलने उनके कार्यालय पहुंचे लेकिन वे नहीं मिले। जानकारी मिली कि वे जयपुर गए हैं। इस पर उन्होंने मुख्य अभियंता से दूरभाष पर बात की तो मुख्य अभियंता ने गलत लहजे में बात की। संदीप सिंह ने कहा कि एक तरफ सरकार कह रही है कि किसानों के किसी प्रकार की दिक्कत नहीं आने दी जाएगी दूसरी तरफ अधिकारियों को बोलने का लहजा ठीक नहीं। ऐसे अधिकारियों को सस्पेंड करना चाहिए।
पाकिस्तान जा रहा पानी
किसानों के अनुसार 670 क्यूसेक पानी पाकिस्तान जा रहा है। लेकिन सिंचाई विभाग के अधिकारी इस बात को मानने को तैयार नहीं है। इस बात को लेकर किसान नेता व मुख्य अभियंता के बीच दूरभाष के जरिए हुए बातचीत के दौरान जमकर बहस भी हुई। किसानों का आरोप है कि भाखड़ा नहर, इंदिरा गांधी नहर व गंगनहर में पानी देने की बजाए पाकिस्तान को पानी दिया जा रहा है। भाखड़ा नहर का शेयर खत्म होने की बात अधिकारी कर रहे हैं। गेहूं की फसल पकने को तैयार है। अंतिम चरण के लिए सिंचाई पानी की अतिआवश्यकता है। किसानों ने चेतावनी दी कि यदि भाखड़ा नहर में 1250 क्यूसेक पानी नहीं चलाया गया तो आंदोलन तेज किया जाएगा।
पूर्व में यह हुआ था घटनाक्रम
गत 20 जनवरी जिला कलक्ट्रेट के समक्ष सोमवार को किसानों की महापंचायत हुई थी। महापंचायत में किसान संगठनों ने 1250 क्यूसेक सिंचाई पानी देनी की मांग की थी। इस संबंध में जिला कलक्टर की मौजूदगी में सिंचाई विभाग के अधिकारी व किसान नेताओं की पांच घंटे वार्ता चली थी। वार्ता में 4 मार्च से 20 मार्च तक 1200 क्यूसेक पानी देने पर समझौता हुआ था। चार मार्च से पूर्व 850 क्यूसेक पानी देने पर सहमति हुई थी। जबकि किसान संगठनों ने एक फरवरी से 20 मार्च तक 1250 क्यूसेक पानी की मांग की थी। किसानों की माने तो 1990 में भाखड़ा नहर में 1800 क्यूसेक पानी चलता था। उसके बाद यह मात्रा घटकर 1600 क्यूसेक हो गई। इसके बाद 1250 और अब घटाकर 850 क्यूसेक पानी चलाया जा रहा था। अब उससे भी कम कर दिया है।