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संपादकीय : जल जीवन की धार को सुचारू करने की जरूरत

जल किसी भी व्यक्ति के जीवन की सबसे बड़ी आवश्यकता होता है। जल बिन जीवन संभव नहीं है। इसलिए हर व्यक्ति, हर परिवार की दिनचर्या की शुरुआत जल की व्यवस्था से ही होती है। और यह एक उजागर तथ्य है कि देश में जल प्रबंधन की स्थिति अच्छी नहीं है। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र में दुरूह […]

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May 26, 2025

जल किसी भी व्यक्ति के जीवन की सबसे बड़ी आवश्यकता होता है। जल बिन जीवन संभव नहीं है। इसलिए हर व्यक्ति, हर परिवार की दिनचर्या की शुरुआत जल की व्यवस्था से ही होती है। और यह एक उजागर तथ्य है कि देश में जल प्रबंधन की स्थिति अच्छी नहीं है। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र में दुरूह ढाणियों और कस्बों में तो पानी का इंतजाम कर पाना दुष्कर कार्य है। मीलों दूर से पानी लाने तक की मजबूरी से करोड़ों परिवार रूबरू हैं। हर परिवार का घंटों का समय और श्रम प्रतिदिन इसमें जाया हो रहा है। इसके बावजूद यह आश्वस्त होकर नहीं कहा जा सकता कि घर की जरूरत के लिए पर्याप्त पानी उन्हें मिल ही जाएगा और वह शुद्ध होगा। ऐसे करोड़ों परिवारों की हर रोज की पानी के लिए भटकने की जद्दोजहद और तकलीफ दूर करने के लिए ही केंद्र सरकार ने राज्यों के सहयोग से 2019 में जल जीवन मिशन की अवधारणा दी थी। इस अवधारणा का फायदा हुआ है और तस्वीर भी बदली है।
प्रारंभिक आकलन में जिन सोलह करोड़ परिवारों को जल से सर्वथा वंचित माना गया था, उनमें 12.31 करोड़ परिवारों के घरों में नल की व्यवस्था हो चुकी है। इसमें कोई संदेह नहीं कि लक्ष्य की लगभग 80 प्रतिशत उपलब्धि का यह आंकड़ा अच्छा है, लेकिन इस पर संतोष नहीं किया जा सकता। इसलिए कि मूल परियोजना में यह सारा काम वर्ष 2024 तक पूरा कर देना था। पांच महीने ज्यादा हो चुके हैं और अभी लक्ष्य से 20 प्रतिशत दूर हैं। परियोजना की यही गति चलती रही तो अभी डेढ़ साल और लगेगा। इसका अर्थ है कि परियोजना लगभग दो साल विलंबित हो चुकी है। यह सवाल नीति नियंताओं को सोचना होगा कि देश की लगभग हर परियोजना विलंबित क्यों होती है? जल जीवन मिशन में तो उन्हें यह सोचने के साथ ये पहलू भी देखने हैं कि राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे कुछ राज्यों में परियोजना घोटालों की पटरी पर कैसे चली गई? निगरानी तंत्र क्या कर रहा था? केंद्र सरकार के पास ही जो रिपोट्र्स पहुंची हैं, उसके मुताबिक अकेले राजस्थान और मध्यप्रदेश में ही परियोजना के 48 भागों में गड़बडिय़ां हुई हैं। उत्तरप्रदेश, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल भी अनियमितताओं से अछूते नहीं हैं।
यह जानकारी भी धरातल पर आ चुकी है कि परियोजना के पूर्ण हिस्सों में भी काफी स्थानों पर घरों में पानी नहीं पहुंचा है। इतने व्यापक स्तर पर गड़बडिय़ां हैं कि केंद्र को इनकी जांच के लिए 100 टीमें लगानी पड़ी हैं। कब ये टीमें जांच में लगेंगी और कब जांच पूरी होगी? कार्रवाई का चरण इसके बाद ही आएगा। तब तक परियोजना कितनी प्रभावित हो जाएगी, अंदाजा ही लगाया जा सकता है। जल जीवन मिशन में जो नुकसान हो चुका है, उसकी भरपाई नहीं की जा सकती। लेकिन, आगे नुकसान न हो और जो नुकसान हो चुका है, उसकी भरपाई के कदम उठाए जा सकते हैं। यह काम तुरंत होना चाहिए।

Published on:
26 May 2025 09:39 pm
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