डॉ. सचिन बत्रा, वरिष्ठ पत्रकार एवं तकनीकी विशेषज्ञ
हम सभी ने बचपन में रामायण धारावाहिक में जटायु को संवाद करते देखा। उसमें जटायु बताता है कि कैसे रावण ने सीता का हरण कर लिया। वहीं वानर सेना भी भगवान राम के आदेशों का पालन कर रही थी। बहुत से लोग जो सिर्फ वैज्ञानिक तर्क स्वीकार करते आए हैं उन्हें यह संदर्भ कपोल कल्पित या असत्य लगते थे लेकिन अब तो एआइ में हो रहे नव-प्रयोग यह साबित कर रहे हैं कि जीव जंतुओं की भाषा को भी समझा जा सकता है।
कितनी दिलचस्प बात होगी कि एक चिड़ियाघर में एक शेर गुर्राए और एआइ औजार यह बता दे कि शेर गुस्से में है, उसे दिए खाने में उसकी पसंद का ध्यान नहीं रखा जा रहा है। या यह कि उसका पेट नहीं भरा तो वह अब किसी इंसान पर हमला करने वाला है। बहुत मजेदार होगा कि जब एक समुद्री डॉल्फिन सीटी बजाकर संवाद करे और मोबाइल का एआइ ऐप उसका अनुवाद कर बताए कि मछली हड़बड़ी में है, उसे समुद्र के नीचे एक बेहोश व्यक्ति मिला है या एक डूब चुके जहाज में खजाना दिखाई दे रहा है। जी हां, टीवी पर छोटा भीम कार्टून या माशा एंड द बियर में जीव जंतुओं को आपस में संवाद करते हुए दिखाया जाता है। यह कितना संभव होगा यह तो कहना मुश्किल है, लेकिन मनुष्य ने एआइ के जरिए जानवरों की जुबान या उनकी भाषा को समझने या अनुवाद करने की तैयारी कर ली है। हाल में चीन की सर्च इंजन कंपनी बायडू ने एक अत्याधुनिक ट्रांसलेशन सिस्टम के लिए पेटेंट दर्ज कराया है। यह सिस्टम जानवरों की आवाज, उनकी बॉडी लैंग्वेज, व्यवहार के बदलते पैटर्न सहित जैविक संकेतों का संकलन और विश्लेषण कर उन्हें इंसानी भाषा में रूपांतरित कर देगा। उसमें यह दावा किया जा रहा है कि यह सिस्टम मनुष्य और जीव जंतुओं के बीच संवाद स्थापित कर भावनात्मक संबंध सुगम करेगा।
इसी प्रकार गूगल डीपमाइंड ने डॉल्फिन गेम्मा एआइ मॉडल के जरिए डॉल्फिन की भाषा प्रोजेक्ट तैयार किया है, जो उसकी क्लि और सीटी को टोनेलाइज करके उसकी संरचना पर समझ विकसित करता है। यही नहीं, अर्थ स्पीशीज प्रोजेक्ट के तहत नेचुरल एलएम ऑडियो नामक एआइ मॉडल विकसित किया गया है, जो पक्षियों, हाथियों और व्हेल जैसे प्राणियों की ध्वनि पर प्रशिक्षित है। इसके तहत उन्हें "क्रो वॉल रेप्रेटरी प्रोजेक्ट" को मील का पत्थर माना गया, जिसमें विविध जीवों की ध्वनियों की बैंटिंग की गई। आपको यह जानना बहुत ही रोचक लगेगा कि ट्रांसफार्मर एआइ नामक एआइ मॉडल तो मुर्गियों के मन की बात को 92 प्रतिशत की सटीकता से समझ लेता है। यह एआइ औजार उन्हें दुख, खतरे और भूख के बारे में जानकारी देता है। जापान की बात की जाए तो वहां बहुत पहले से बो-लिंगुअल और मियो-लिंगुअल डिवाइस के माध्यम से कुत्ते व बिल्ली की ध्वनि को भावनाओं में बदला जाता रहा है। हालांकि इसे वहां खिलौने के बतौर ही मान्यता प्राप्त है। वहीं ज़ूलिंगुआ नामक स्टार्टअप एक ह्यूमन-पेट ट्रांसलेटर ईजाद करने में जुटा है। वहीं डीप स्वीक नामक एआइ एप से चूहों के दुख-सुख को जानना आसान हो गया है। हालांकि डीप स्वीक एआइ टूल के निर्माता केविन हॉफे का कहना है कि यह औजार कोई जादू नहीं है।
1994 की एक रोचक फिल्म मंकी ट्रबल में एक लड़की एक भगोड़े बंदर को पालती है। वह बंदर इंसानी भाषा को समझता था, इसलिए वह लड़की बंदर को समझाती है और अनैतिक अपराधियों को पकड़वाती है। ऐसा माना जा सकता है कि अब तक हमने जो फिक्शन फिल्में जैसे द जंगल बुक, डॉ. डूलिट्ल, द लायन किंग, एल्विन द चिपमंक्स, फाइंडिंग नीमो, पीटर रैबिट, द क्रोनिकल्स ऑफ नार्निया और द कॉल ऑफ वाइल्ड देखी हैं, वह नए एआइ औजारों की जादूगरी से संभव हो जाए और हम भी अपने एआइ मोबाइल ऐप से पक्षियों, जलजीवों और वन्य प्राणियों से संवाद कर पाएं। यह सोचना तो बहुत मजेदार होगा कि जब हमारे मोबाइल पूर्णत: निगरानी में होंगे तो हम भी किसी बिल्ले को दोस्त बना कर ‘बिल्ली जा-जा-जा…’ हर पुराने दौर की तरह चिठ्ठी भेजा करेंगे। यही नहीं, एआइ एजेंट बता देंगे कि हमारे आसपास एक गुस्से से भरपूर सांप जहर उगलने को आमादा है या किसी एआइ टूल के जरिए अपनी बात का अनुवाद कर हम किसी चूहे को धमका देंगे कि भूख लगे तो खाना मिलेगा पर चोरी की तो जुर्माना होगा।
जानवरों के जज्बातों को रूपांतरित ध्वनि या एआइ भाषा में बदलना कठिन परिश्रम का काम है। इसके लिए बायोलॉजिस्ट जीवों की विविधता पूर्ण स्थितियों, व्यवहार, भावनाओं और अंजानी दिमागी गतिविधियों की गहन पड़ताल कर रहे हैं। हालांकि इस मामले पर वैज्ञानिक भी दो धड़ों में बंटे हुए हैं, जिसमें एक पक्ष जानवरों की जुबान को जानने का समर्थन करते हुए एआइ औजार विकसित कर रहा है तो दूसरा इसे एथिक्स के खिलाफ मानता है। बहरहाल चूंकि जानवरों का कोई विलय नहीं होता इसलिए जानवरों की पोल तो आखिर खोल ही दी जाएगी। वैज्ञानिकों की मानें तो जीव-जंतुओं से संवाद अगर उन्हें कल्याण के लिए है तो ठीक, नहीं तो यह एआइ तकनीकी एक हथियार भी साबित हो सकती है।