चार धाम की इस यात्रा में बदइंतजामी के और भी कई कारण हैं। यात्रा मार्गों को समय पर दुरुस्त नहीं करना भी प्रशासन की बड़ी नाकामी है। अब गर्मी की छुट्टियां शुरू होने वाली हैं। ऐसे में चार धाम के लिए यात्रियों की आवक और बढऩे वाली है। वाहनों की बेतरतीब पार्किंग भी संकट बढ़ाने वाली है। यह बात सही है कि धार्मिक पर्यटन उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था को भी संबल देता है लेकिन यात्री सुविधाओं का भी ध्यान रखना होगा।
उत्तराखंड में चार धाम यात्रा की शुरुआत के साथ ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ व यात्रा मार्ग में लगे जाम को देखते हुए प्रशासन ने दो दिन के लिए चार धाम यात्रा का ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन बंद करते हुए श्रद्धालुओं से यह भी आग्रह किया है कि वे हालात सामान्य होने तक चार धाम के लिए अपने आगे की यात्रा को फिलहाल रोकें। चार धाम यात्रा में यात्रियों की परेशानियों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले दो दिन से हजारों यात्री बीच में फंसे वाहनों में ही रात बिताने को मजबूर हैं। गंगोत्री-यमुनोत्री मार्ग पर वाहनों की रेलमपेल के कारण पुलिस ने कई जगह आवागमन को डाइवर्ट भी किया है। समूचे यात्रा मार्ग में यात्रियों के बीच में फंसे होने और सड़कों पर लगे जाम की जो तस्वीरें सामने आई हैं, वे चिंताजनक और डराने वाली हंै।
चार धाम यात्रा के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ कोई अचानक उमड़ी हो, ऐसी बात भी नहीं है। पिछले साल के मुकाबले तुलना करें तो इस यात्रा के पहले दो दिन में ही चालीस फीसदी से ज्यादा श्रद्धालु चार धाम यात्रा के लिए आए हैं। जाहिर है कि भीड़ प्रबंधन को लेकर जो तैयारी होनी चाहिए थी, वह समुचित रूप से नहीं की गई। असल में इस पर खास ध्यान ही नहीं दिया गया। चार धाम यात्रा के लिए जाने के इच्छुक श्रद्धालु जिस तरह से पंजीकरण करा रहे हैं, उससे भी लगता है कि इस बार पिछले सालों का रेकॉर्ड टूट सकता है। उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में गांव-कस्बों की अपनी क्षमताएं हैं।
यह बात सही है कि चार धाम यात्रा के दौरान स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ते हैं लेकिन यहां आने वाले श्रद्धालुओं को अव्यवस्थाओं की वजह से परेशानियां झेलने को मजबूर होना पड़े तो उसमें प्रशासन की नाकामी ही झलकती है। रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया और श्रद्धालुओं की आवाजाही को नियंत्रित किया जाना चाहिए। क्षमता से अधिक लोग वहां पहुंच रहे हैं, तो इस समस्या पर ध्यान देना चाहिए। रही बात वाहनों के कारण बाधित होने वाले यातायात की, तो यह भी एक तथ्य है कि बड़ी संख्या में निजी साधनों से जाने वाले यात्रियों के कारण वाहनों की रेलमपेल बढ़ती है। सरकारी स्तर पर सार्वजनिक परिवहन का पुख्ता प्रबंध हो तो संकट कम हो सकता है। चार धाम की इस यात्रा में बदइंतजामी के और भी कई कारण हैं। यात्रा मार्गों को समय पर दुरुस्त नहीं करना भी प्रशासन की बड़ी नाकामी है। अब गर्मी की छुट्टियां शुरू होने वाली हैं। ऐसे में चार धाम के लिए यात्रियों की आवक और बढऩे वाली है। वाहनों की बेतरतीब पार्किंग भी संकट बढ़ाने वाली है। यह बात सही है कि धार्मिक पर्यटन उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था को भी संबल देता है लेकिन यात्री सुविधाओं का भी ध्यान रखना होगा।