पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं मिलीं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं
वैश्विक कानून की जरूरत
सोशल मीडिया से जुड़ी कंपनियों को नियंत्रित करने और उनकी जवाबदेही सुनिश्चित करने लिए कोई वैश्विक कानून नहीं है। इसका लाभ उठाते हुए ये कंपनियां मनमानी करती हैं और विभिन्न देशों के दिशा-निर्देशों का ठीक से पालन नहीं करतीं। सरकार यदि कोई सूचना मांगती है, तो वह भी समय पर नहीं देतीं। इससे विवाद बढ़ जाता है। इसलिए इन कंपनियों के लिए वैश्विक स्तर पर ठोस कानून बनाने की जरूरत है।
-गजेंद्र चौहान कसौदा, डीग
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फैला रहे हैं फेक न्यूज
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेक न्यूज और हेट स्पीच फैलाने का जरिया बनते जा रहे हैं। इन पर गलत विचारों भी प्रसारित होते हंै, जिससे देश की आंतरिक सुरक्षा खतरे मे पड़ सकती है।
-अशोक कुमार शर्मा, जयपुर
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बढ़ रहा है खतरा
सोशल मीडिया के द्वारा होने वाले साइबर अपराधों जैसे हैकिंग और फिशिंग आदि का खतरा भी बढ़ जाता है। आजकल सोशल मीडिया के माध्यम से धोखाधड़ी का चलन भी काफी बढ़ गया है। लोग ठगी का शिकार भी हो रहे है। गोपनीयता की कमी के कारण डेटा चोरी होने का खतरा भी रहता है।
नियमों की अवहेलना
सोशल मीडिया कंपनियां केंद्र सरकार के नियमों की अवहेलना करती रहती हंै। वाट्सऐप तथा फेसबुक पर पोस्ट किसी की भी निजता के खिलाफ नहीं होना चाहिए। केंद्र सरकार को सोशल मीडिया कंपनियों की मनमानी रोकनी होगी।
-शिवजी लाल मीना, जयपुर
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निजी गोपनीयता बनी रहे
सोशल मीडिया से जुड़ी कंपनियों का, फेक न्यूज और हेट स्पीच फैलाने में बहुत बड़ा हाथ है। गोपनीयता की कमी के चलते निजी डेटा की चोरी के मामले सामने आते रहते हैं। सोशल मीडिया का सहारा लेकर हो रहे साइबर अपराध जैसे हैकिंग और फिशिंग की वजह से भी सोशल मीडिया से जुड़ी कंपनियां विवादों में बनी रहती हैं।
-नरेश कानूनगो, देवास, मप्र