पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं मिलीं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं
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कम हो चीन से आयात
चीन से होने वाले आयात ने घरेलू उत्पादन को काफी प्रभावित किया है। देश के छोटे-बड़े उद्योग तथा कृषि उत्पादकों के सामने चुनौती खड़ी हो गई है। हालत यह है कि चीनी लहसुन तक देश की मंडियों में बिक रहा है। सरकार को चीन से आयात को हतोत्साहित करना चाहिए।
-हुकुम सिंह पंवार, इन्दौर, मप्र
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स्वदेशी का अपनाएं
हम स्वदेशी सामान को अपनाएं। साथ ही उनका प्रचार- प्रसार किया जाए ताकि हमारे उद्योगों को प्रोत्साहन मिले। आत्मनिर्भरता की पहली शर्त देश में निर्मित उत्पादों पर गर्व करना है। भारत सरकार को जहां उद्यमियों को चीन का मुकाबला करने के लिए तैयार करना होगा, वही आम जनता के लिए भी आवश्यक है कि वह भी विदेशी वस्तुओं पर निर्भरता छोड़े।
-साजिद अली, इंदौर
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लोगों को करना होगा जागरूक
किसी भी वस्तु का आयात मांग पर निर्भर करता है। यदि मांग बढ़ेगी तो स्वाभाविक रूप से उसकी पूर्ति के लिए प्रयास होंगे। चीनी वस्तुओं का आयात कम तभी हो पाएगा, जब लोग स्वयं इन चीजों को नकारकर स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग करें।
-गजेन्द्र नाथ चौहान , राजसमंद
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आयात पर रोक लगाएं
चीन से गैर-जरूरी वस्तुओं के आयात को कम करने के लिए इनके आयात पर रोक लगाने और इनका उत्पादन देश में ही शुरू करने जैसे तरीकों को अपनाया जा सकता है ।
-वसंत बापट, भोपाल, म.प्र
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आयात शुल्क बढ़ाया जाए
चीन से आने वाले सामानों की सूची बनाई जानी चाहिए। उसमें भी जरूरी और गैर जरूरी। अनावश्यक वस्तुओं के आयात शुल्क में बढ़ोतरी करनी होगी। इसके साथ-साथ देश की जनता को भी जागरूक करना होगा कि जो सामान अपने देश में उपलब्ध है, उसको हमें बाहर से नहीं मंगाना चाहिए।
-निर्मला देवी वशिष्ठ राजगढ़ अलवर
रोका जाए आयात
चीन से गैरजरूरी वस्तुओं का आयात बंद किया जाना चाहिए। यदि चीन से कोई वस्तु भारत में आएगी ही नही तो जनता उसकी खरीद भी नही कर सकेगी। वैसे भी भारत आत्मनिर्भरता की राह पर है। गैर जरूरी वस्तुओं के आयात को रोका जाना चाहिए।
-राकेश मोहनलाल कुमावत, देवास, मप्र