पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं मिलीं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं
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मिलीभगत का खेल
ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार व्याप्त है। भ्रष्टाचार के चलते सड़क निर्माण की आधी राशि तो नेताओं, अधिकारियों और ठेकेदारों की भेंट चढ़ जाती है। भला ऐसे में गुणवत्ता कहां से आ पाएगी। सड़क चंद दिनों में टूट भी गई तो किसी के खिलाफ कार्रवाई होने वाली नहीं ।
-सुनील कुमार माथुर, जोधपुर
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कमीशन का चक्कर
अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में ठेकेदार सड़क की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं देते। ऊपर से नीचे तक कमीशन का खेल चलता है। इससे निर्माण सामग्री भी हल्की उपयोग में ली जाती है, जिससे गुणवत्ता युक्त सड़कों का निर्माण नहीं होता है।
-संजय डागा हातोद, इन्दौर, मप्र
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भ्रष्ट अधिकारियों पर लगाई जाए रोक
पूरी राशि ठेकेदार को प्राप्त नहीं होती। कम से कम 40त्न राशि अधिकारियों और कर्मचारियों को रिश्वत के रूप में दी जाती है। इसलिए निर्माण कार्यों की गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा जाता। सरकार भ्रष्ट अधिकारियों पर लगाम लगा दे तो हालात सुधर सकते हैं।
भ्रष्टाचार है मुख्य कारण
सड़कों की गुणवत्ता से समझौता करने में नेता-अफसर व ठेकेदारों की तिकड़ी सबसे आगे रहती है। यह गठजोड़ मजबूत होता जा रहा है। इसीलिए भ्रष्टाचार से जुड़े बड़े कामों की सूची में सड़क निर्माण हमेशा ऊंचे पायदान पर रहता आया है।
-दिवाकर गहलोत, बीकानेर
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कार्मिकों की लापरवाही
सरकारी तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार एवं संबंधित कार्मिकों में अपने कर्तव्य के प्रति निष्ठा के अभाव के कारण सड़क निर्माण के दौरान गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा जाता है। -राजकुमार पाटीदार, सुनेल, झालावाड़
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रक्षक ही भक्षक
सड़क निर्माण के कार्य ठेके पर दिए जाते हैं। एक तरफ ठेकेदारों पर नियत समय मे कार्य पूर्ण करने का दबाव रहता है तो दूसरी तरफ गुणवत्ता की निगरानी रखने वाले जिम्मेदार अधिकारियों का कमीशनखोरी का दबाव। ऐसे हालात में गुणवत्ता का ध्यान कौन रखे? असल में रक्षक ही भक्षक बने हुए हैं।
-चूना राम बेनीवाल, बायतु, बालोतरा
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सांठगांठ का नतीजा
सड़कों के निर्माण का ठेका लेने वालों की अधिकारियों और नेताओं से सांठगांठ होती है। सड़क बनाने की सामग्री की नियमित रूप से जांच नहीं की जाती है। इसलिए घटिया काम होता है और बहुत जल्दी ये सड़कें टूट जाती हैं। इसी वजह से आए दिन हादसे होते रहते है। निर्माण कार्यों में ठेकेदारों और अधिकारियों को जवाबदेही सुनिश्चित की जानी चाहिए।
-निर्मला देवी वशिष्ठ, राजगढ़, अलवर