पाठकों ने इस पर विभिन्न प्रतिक्रियाएं दी हैं। प्रस्तुत हैं पाठकों की चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।
यूज एंड थ्रो वाली मानसिकता
रोजमर्रा की उपयोग की वस्तुएं हो या इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, तेजी से बदलते फैशन के कारण कूड़े-कचरे और अनुपयोगी वस्तुओं का कबाड़ बढ़ता जा रहा है। इससे धरती ही नहीं समुद्र भी प्रदूषित हो रहा है , फैशन के इस दौर में लोगों की मानसिकता भी यूज एंड थ्रो वाली होती जा रही है। - संजय डागा, हातोद
माइक्रोप्लास्टिक से प्रदूषण
फास्ट फैशन से पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंच रहा है, जिसमें जल प्रदूषण, भारी मात्रा में पानी और ऊर्जा का उपयोग, माइक्रोप्लास्टिक कचरा, हरित गृह गैसों का उत्सर्जन होता है, जो जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार है। इसमें भूमि व जलीय पारिस्थितिक तंत्रों का क्षरण शामिल है। यह उद्योग दुनिया के सबसे बड़े प्रदूषण फैलाने वालों में से एक है, जो अपशिष्ट जल और वस्त्रों का विशाल ढेर पैदा करता है। फास्ट फैशन उद्योग प्रति वर्ष लगभग 92 मिलियन टन कचरे के लिए जिम्मेदार है। फास्ट फैशन में प्रयुक्त 60% से अधिक कपड़े नायलॉन और पॉलिएस्टर के होते हैं, जो गैर-जैव निम्नीकरणीय होते हैं और महासागरों में 35% माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण का कारण बनते हैं। - सुरेन्द्र कुमार, नोहर
मिट्टी की गुणवत्ता खऱाब हो रही
फास्ट फैशन से पर्यावरण पर भारी दुष्प्रभाव पड़ रहे हैं। कपास की खेती में कीटनाशक और रसायन बहुत ज्यादा इस्तेमाल होने की वजह से मिट्टी की गुणवत्ता खराब हो रही है। कपड़ों के उत्पादन में भारी मात्रा में ऊर्जा बिजली कोयला इस्तेमाल होता है, जिससे कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसों की वजह से ग्लोबल वार्मिंग होने लगती है। रेयॉन-विस्कोस जैसे कपड़े बनाने के लिए पेड़ों की लकड़ी का इस्तेमाल होता है, जिसकी वजह से जंगलों की कटाई बढ़ती जा रही है। रंगाई और केमिकल्स नदियों और तालाबों में जाने की वजह से जल प्रदूषण बढ़ रहा है, जिससे जलीय जीवों को बहुत ज्यादा नुकसान हो रहा है। - मोदिता सनाढ्य, उदयपुर