पाठकों ने इस पर विभिन्न प्रतिक्रियाएं दी हैं, प्रस्तुत हैं पाठकों की चुनिंदा प्रतिक्रियाएं
शपथ पत्र लिया जाए
एक ऐसा नियम होना चाहिए कि शादी से पहले दहेज नहीं लेने का शपथ पत्र मय हस्ताक्षर लिया जाए। दो से तीन बार प्रताड़ित करने पर पुलिस थाने में सूचना की जाए। - खूबीलाल पूर्बिया, उदयपुर
समाज में जागरूकता आए
दहेज प्रथा हमारे समाज की एक गहरी कुरीति है, जो स्त्री की गरिमा और उसके परिवार की इज्जत को ठेस पहुंचाती है। शादी एक पवित्र संस्कार है, लेकिन दहेज की मांग इसे व्यापार बना देती है। इस प्रथा को समाप्त करने के लिए समाज को जागरूक करना होगा। लड़की के माता-पिता को भी दृढ़ता से निर्णय लेना होगा कि वे अपनी बेटी की शादी ऐसे घर में नहीं करेंगे जहां दहेज की मांग हो। - रंजू अजमेरा, सूरत
कानूनों की कड़ाई से पालना हो
दहेज प्रथा की रोकथाम के लिए बनाए गए कानूनों की कड़ाई से पालना करवानी चाहिए। इसके लिए दहेज देने वाले एवं लेने वाले दोनों समान रूप से जिम्मेदार ठहराए जाने चाहिए। दहेज की मांग करने वालों की सूचना जिम्मेदार नागरिक के रूप में प्रशासन को देनी चाहिए। समस्त राजकीय कर्मचारियों को दहेज प्रकरणों को उजागर करने के लिए पाबंद करना चाहिए। समाज में बिना दहेज के शादी करने वालों को सामाजिक मंचों पर सम्मान देना भी इस दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। दहेज को प्रतिष्ठा का मापक मानने वालों को महत्त्व नहीं देना चाहिए। - सुरेंद्र सारस्वत, हनुमानगढ़
दृढ़ संकल्प करने की जरूरत
दहेज जैसी कुरीति का इतना फैलाव होने का कारण इसकी सामाजिक स्वीकार्यता का होना है। अतः इसे खत्म करने के लिए सामाजिक स्तर पर दहेज के लेन-देन नहीं करने के दृढ़ संकल्प की आवश्यकता है। - चूनाराम बेनीवाल, बालोतरा
धरातल पर काम करने की आवश्यकता
दहेज उन्मूलन कानून तो पहले से ही बना हुआ है, लेकिन यह केवल कागजों पर सीमित है। इसके लिए दोनों पक्ष जिम्मेदार हैं। दहेज उन्मूलन के लिए धरातल पर कार्य करने की आवश्यकता है। - हरिप्रसाद चौरसिया, देवास