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एथलीटों को सोशल मीडिया के उत्पीड़न से बचाने के लिए चीन ने उठाया ये बड़ा कदम, जानें भारत कितना पीछे

China campaign to protect athletes: एथलीटों को सोशल मीडिया के उत्पीड़न से बचाने के लिए चीन के साइबरस्पेस प्रशासन ने अच्‍छी पहल करते हुए एक अभियान शुरू किया है। इसके तहत एथलीटों का निजी डेटा जानबूझकर लीक करने पर रोक लगाई जाएगी।

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Nov 09, 2025
एथलेटिक चैंपियनशिप। (फाइल फोटो: IANS)

China campaign to protect athletes: चीन के साइबरस्पेस प्रशासन (CAC) ने 15वें नेशनल गेम्‍स से पहले अपने एथलीटों, कोचों और रेफरी के ऑनलाइन होने वाले उत्पीड़न को रोकने के लिए अच्‍छी पहल करते हुए एक अभियान शुरू किया है। यह अभियान फैंस या दुर्व्‍यवहार करने वालों द्वारा व्यक्तिगत संपर्क नंबर, होटल में ठहरने के विवरण और आधिकारिक आईडी प्रमाण समेत बदनाम अभियानों के माध्यम से व्यक्तिगत डेटा को जानबूझकर लीक करने पर रोक लगाएगा। सीएसी ने कहा कि इस अभियान का उद्देश्य एथलीटों की गोपनीयता और प्रतिष्ठा की रक्षा के अलावा उनके निजी जीवन और स्वतंत्रता को ऑनलाइन डॉक्सिंग और दुरुपयोग से सुरक्षित रखना है।

क्या है डॉक्सिंग?

डॉक्सिंग का मतलब है कि किसी व्यक्ति की पूर्व सहमति के बिना उसकी संवेदनशील व्यक्तिगत जानकारी को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर प्रकाशित करना। इसमें उन्हें परेशान करने, डराने या शर्मिंदा करने के लिए उनके नाम, संपर्क नंबर, पता, ऑनलाइन खाता विवरण या आधिकारिक दस्तावेज विवरण शामिल हैं। चीन में इसे "बॉक्स खोलना" भी कहा जाता है। गौरतलब है कि पूर्व में कई हाई-प्रोफाइल एथलीटों को डॉक्सिंग का सामना करना पड़ा है।

पुरुष खिलाड़ी का निजी फोन नंबर हुआ था लीक

चीन के स्टार टेबल-टेनिस खिलाड़ी फैन जेंडॉन्ग को अप्रैल 2023 में डॉक्सिंग का सामना करना पड़ा। एक प्रशंसक काफी समय से उनके पीछे पड़ा था। उसने उनके होटल के कमरे की चाबी किसी तरह से हसिल कर ली। इसके बाद उनका निजी फोन नंबर और आधिकारिक आइडी को ऑनलाइन लीक कर दिया।

लाखों यूजर्स के अकाउंट हो चुके ब्लॉक

चीन पहले भी इस दिशा में कदम उठा चुका है। इसके तहत चीन के कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म कई अभद्र भाषा या कंटेट प्रस्तुत करने वाले लाखों यूजर्स के अकाउंट ब्लॉक कर चुका है। ऐसा वहां की सरकार के कहने पर हुआ।

भारत में ऐसा कोई भी कानून नहीं

भारत में ऐसा कोई भी कानून नहीं है, जो डॉक्सिंग को स्पष्ट रूप से परिभाषित करता हो या इसे अपराध घोषित करता हो। हालांकि, व्यक्तिगत डिजिटल डेटा संरक्षण अधिनियम (2023), सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (2000) और बीएनएस के प्रावधान वहां लागू किए जा सकते हैं, जहां व्यक्तिगत जानकारी का दुरुपयोग किया जा रहा है।

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