mp news: मध्य प्रदेश के हरे-भरे जंगल के भीतर भगवान शिव का एक ऐसा चमत्कारी मंदिर है जो, सबसे पवित्र माह श्रावण में भी श्रद्धालुओं के लिए नहीं खुलता है। इस मंदिर की कहानी अपने आप में बहुत रोचक है।
mp news: पन्ना जिले में भगवान भोलेनाथ का एक ऐसा प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर है, जहां सावन माह में भी श्रद्धालुओं को दर्शन नहीं हो पाते। इसे झलरिया महादेव के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर पन्ना टाइगर रिजर्व की दुर्गम पहाड़ियों के बीच महादेव का अनूठा धाम है। भगवान भोलेनाथ के साल में सिर्फ एक बार बसंत पंचमी के दिन दर्शन की अनुमति होती है। महादेव के दर्शन करने पन्ना, छतरपुर समेत उत्तर प्रदेश के जिलों से भक्तों की भारी भीड़ लगती है।
भगवान भोलेनाथ का यह पवित्र स्थल सदियों पुराना है। तब नेशनल पार्क की स्थापना भी ही नहीं हुई थी। धाम के आसपास चारों ओर आदिवासी वनवासियों के गांव हुआ करते थे। घने जंगल और पहाड़ियों के बीचोंबीच यह दुर्लभ स्थल हजारों वर्ष पुराना है और यहां पर सैकड़ों वर्षों से पूजा अर्चना की जा की जाती रही है।
टाइगर रिजर्व (Panna Tiger Reserve) के हिनौता गेट से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को घने जंगलों के बीच से गुजरना होता है। बड़ी पहाड़ी के नीचे महादेव का शिवलिंग स्थापित है। भगवान भोलेनाथ का प्रकृति लगातार जलाभिषेक करती है। पहाड़ी से जल सीधे शिवलिंग पर गिरता है। (Sawan month)
पन्ना राष्ट्रीय उद्यान वर्ष 1981 में स्थापित किया गया था। वर्ष 1994 में इसे पन्ना टाइगर रिजर्व का दर्जा मिला। पन्ना टाईगर रिजर्व बनने के बाद झलारिया महादेव के दर्शन करने श्रद्धालुओं को साल में एक बार बसंत पंचमी के लिए दर्शन करने की अनुमति होती है। रास्ता दुर्गम और वन्य प्राणियों का खतरा होने से अन्य दिनों में अनुमति नहीं होती है। साल में सिर्फ एक बार लोग दर्शन कर पाते हैं। (Sawan month)
भगवान झलरिया महादेव के धाम में पहुंचने वाले श्रद्धालु की हर मनोकामना पूरी होती है। इसी वजह से रास्ता दुर्गम होने के बाद भी बसंत पंचमी के दिन यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। भगवान की एक झलक पाने श्रद्धालु सुबह से ही कतार में खड़े हो जाते हैं। (Sawan month)