Bihar Assembly Elections : बीजेपी ने एमपी और महाराष्ट्र में महिला केंंद्रित योजना का शुभारंभ किया और चुनाव में उन्हें इसका फायदा भी मिला।
Bihar Assembly Elections : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों का ऐलान अक्टूबर में होने वाला है। इसके साथ ही सियासी माहौल धीरे-धीरे गर्म होने लगा है। 243 सीटों वाले इस राज्य में हर बार जातीय समीकरण और पलायन जैसी समस्याएं सुर्खियों में रहती हैं, लेकिन इस बार राजनीतिक विमर्श का सबसे अहम केंद्र महिलाएं होती दिख रही हैं। वजह, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से लगातार महिला केंद्रित योजनाओं का ऐलान है। साथ ही विपक्ष भी कोटा बढ़ाने के साथ पेंशन समेत दूसरी लोकलुभावन योजनाओं की शुरुआत करने का वादा कर रहा है।
बिहार की राजनीति में महिलाओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों से औसतन 5 से 6% ज्यादा रहता है। एसेंडिया स्ट्रेटजीज की रिपोर्ट के मुताबिक 2020 के चुनावों में 243 में से 167 सीटों पर महिला वोटिंग पुरुषों से ज्यादा रही और इनमें से 90 सीटें एनडीए की झोली में गईं। यानी साफ है कि महिला मतदाता सिर्फ सांकेतिक नहीं, बल्कि निर्णायक भूमिका निभाती हैं। यही कारण है कि एनडीए और इंडिया ब्लॉक दोनों ही महिलाओं पर केंद्रित नैरेटिव बनाने में जुटे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 सितंबर को पटना से 'मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना' का शुभारंभ किया। इस योजना के तहत 75 लाख महिलाओं को सीधे उनके बैंक खाते में 10-10 हजार रुपये ट्रांसफर किए गए। लगभग 7,500 करोड़ रुपये की यह योजना एक तरह से महिलाओं को स्वरोजगार और छोटे स्तर पर उद्यमिता के लिए प्रोत्साहित करती है।
एनडीए का यह कदम बिल्कुल वैसा ही है, जैसा बीजेपी ने मध्य प्रदेश में लाडली बहना योजना और महाराष्ट्र में लड़की बहिन योजना के जरिए किया था। इन दोनों राज्यों में महिलाओं को सीधी आर्थिक मदद ने चुनाव में बढ़त दिलाई। बिहार में भी इस एक्सपेरिमेंट को दोहराने की कोशिश हो रही है।
कांग्रेस की प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस योजना को चुनावी रेवड़ी करार दिया और महिलाओं से अपील की कि वे सिर्फ कैश ट्रांसफर से प्रेरित न हों। हालांकि, INDIA गठबंधन की ओर से अब तक कोई ठोस महिला केंद्रित ऐलान सामने नहीं आया है। यही विपक्ष की कमजोरी भी है, जहां एनडीए ठोस स्कीम के नैरेटिव पर खड़ा है, वहीं विपक्ष अभी चुनावी घोषणापत्र तक सीमित है।
सीवोटर के संस्थापक यशवंत देशमुख के मुताबिक नीतीश कुमार का महिला वोट बैंक से जुड़ाव आज का नहीं बल्कि 25 साल पुराना है। जब उन्होंने स्कूली लड़कियों को साइकिल और यूनिफॉर्म दी थी, तब बिहार की वे बेटियां पढ़-लिख पाईं और आज वही गृहणियां, उद्यमी और मां बन चुकी हैं। इस तरह नीतीश के साथ उनका भावनात्मक रिश्ता गहरा है। यही कारण है कि उन्हें 'मामा' कहे जाने वाले शिवराज सिंह चौहान से भी ज्यादा भरोसेमंद माना जाता है।
महिलाओं के बीच सबसे बड़े मुद्दे 'बेरोजगारी और पलायन' हैं। यही कारण है कि एनडीए ने महिला रोजगार योजना और युवाओं के लिए मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता योजना को प्राथमिकता दी। अगर ये योजनाएं जमीन पर प्रभावी ढंग से लागू होती हैं, तो विपक्ष के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। वहीं विपक्षी आरजेडी और कांग्रेस रोजगार के असल आंकड़े और पलायन की सच्चाई को बड़ा मुद्दा बनाना चाहेंगे। अगर INDIA Block महिलाओं के लिए कोई ठोस योजना लेकर आता है तो मुकाबला और दिलचस्प हो सकता है।