भाकपा माले ने 40 तो माकपा ने 11 सीट पर ठोंका दावा। अब क्या होगी महागठबंधन की रणनीति।
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर घमासान तेज हो गया है। अब कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टी ही नहीं, बल्कि छोटे-छोटे दल भी सीटों पर अपने-अपने दावे ठोकने लगे हैं। भाकपा-माले और माकपा ने तो कांग्रेस और राजद की सीटों तक पर अपना दावा करते हुए महागठबंधन के लिए नया सिरदर्द खड़ा कर दिया है।
राजगीर, मोहनिया, जाले, बेनीपट्टी, रामनगर और नरकटियागंज सीट, जिस पर कांग्रेस का कब्जा है उस पर माले ने झंडा गाड़ने की तैयारी कर ली है। साथ ही राजद की मौजूदा 6 सीटों पर भी डिमांड रखी है। इतना ही नहीं पार्टी ने अपने परंपरागत गढ़ - अरवल, अगिआंव, गया टाउन और विभूतिपुर जैसी सीटों पर भी दावा ठोंक दिया है। उसने कुल मिलाकर 40 सीटें मांगी हैं। सवाल यह है कि महागठबंधन में जब छोटे दल ही कांग्रेस-राजद की सीटें बांटने लगें, तो बड़ी पार्टियां आखिर अपनी साख कैसे बचा पाएंगी?
महागठबंधन के एक और दल माकपा ने 11 सीटों पर दावा ठोंका है। हालांकि माकपा और माले का बीते साल प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा था। दोनों के खाते में क्रमश: 2 और 11 सीटें आई थीं। इस बार माले 40 सीट मांग रही है और माकपा की मांग भी 5 गुना से ज्यादा बढ़ गई है।
जानकार बताते हैं कि तेजस्वी यादव ने भले ही बयान दे दिया कि महागठबंधन में कोई उलझन नहीं है, सीटें लगभग फाइनल हो चुकी हैं। लेकिन अंदरखाने की खींचतान उनके लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। माले के 12 सीटों पर दावे के बाद यह साफ है कि सीट शेयरिंग महज औपचारिकता नहीं, बल्कि खींचतान का अखाड़ा बनने वाली है।
दूसरी तरफ बीजेपी ने चुनावी रणनीति को तेज कर दिया है। 24-25 सितम्बर को पार्टी ने पटना में सभी जिलों के नेताओं की बैठक बुलाई है। हर जिले से 15-20 प्रमुख नेता उम्मीदवार चयन पर राय देंगे। माना जा रहा है कि बीजेपी जल्द ही उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर देगी।