बिहार सरकार ने एक महत्वाकांक्षी योजना भी बनाई है, जिसके तहत वित्त वर्ष 2034-35 तक डबल हो चुकी बिजली डिमांड को कैटर किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने बिहार में फ्री बिजली के नीतीश कुमार के ऐलान को लेकर मजाक उड़ाया है। बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने 17 जुलाई को ऐलान किया था कि राज्य के 1.67 करोड़ घरेलू उपभोक्ताओं को हर महीने 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली दी जाएगी। लेकिन इस घोषणा पर यूपी के ऊर्जा मंत्री ने तंज कसा- 'बिजली तब फ्री होगी जब आएगी। न बिजली आएगी, न बिल आएगा, तो फ्री हो गई।' यह टिप्पणी सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में खूब वायरल हो रही है। यहां सवाल उठता है कि क्या बिहार में वाकई बिजली की उपलब्धता इतनी खराब है कि मुफ्त बिजली महज जुमला साबित होगी? इस रिपोर्ट में हम आंकड़ों और योजनाओं के आधार पर आपको बताएंगे कि इस बयान के पीछे क्या हकीकत है?
बिहार में जून में बिजली की डिमांड रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी। उस दौरान बिजली की खपत 8303 मेगावाट तक पहुंच गई, जो राज्य के इतिहास में सर्वाधिक है। इससे पहले सितंबर, 2024 में 8005 मेगावाट रिकॉर्ड खपत रही थी। Bihar State Power Transmission Company Limited (BSPTCL) के आंकड़ों के मुताबिक शहरी क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति औसतन 20-21 घंटे है जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति औसतन 15-16 घंटे है।
2025 में गर्मी में बिजली की मांग : लगभग 8428 मेगावाट
बिहार में बिजली उत्पादन क्षमता : 2023 तक लगभग 9060 मेगावाट
अभी की सप्लाई क्षमता : लगभग 8300-8500 मेगावाट (रिकॉर्ड खपत के अनुसार)
उपभोक्ताओं की संख्या : 2005 में 17 लाख , जो 2025 में बढ़कर 2.13 करोड़।
बिजली खपत : 2005 में जहां 70 यूनिट थी, वह 2025 में बढ़कर 360 यूनिट।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फ्री बिजली योजना के तहत 1.67 करोड़ उपभोक्ताओं को हर महीने 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने का वादा किया है। ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने बताया कि इसके साथ ही फिक्स्ड चार्ज और अन्य शुल्क भी नहीं लिए जाएंगे। राज्य सरकार ने 58.89 लाख BPL परिवारों को 1.1 KW क्षमता के रूफटॉप सोलर पैनल लगाने के लिए 100% सब्सिडी देने की योजना भी बनाई है।
बिहार सरकार ने एक महत्वाकांक्षी योजना भी बनाई है, जिसके तहत वित्त वर्ष 2034-35 तक बिजली मांग 18,708 मेगावाट पहुंचने पर उसकी आपूर्ति कैसे होगी, उस पर अभी से काम शुरू कर दिया है। वर्तमान मांग लगभग 8428 मेगावाट है, जो अगले 10 साल में दोगुनी हो जाएगी। इस चुनौती को ध्यान में रखते हुए बिहार स्टेट पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड (BSPTCL) ने 12,869 करोड़ रुपये की लागत वाली ट्रांसमिशन अपग्रेड योजना तैयार की है। इस योजना को सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (CEA), ग्रिड इंडिया और केंद्रीय ट्रांसमिशन यूटिलिटी ने मिलकर मंजूरी दी है।
एके शर्मा यूपी के मऊ से आते हैं। 1988 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और पीएम नरेंद्र मोदी के बेहद करीबी माने जाते हैं।
गुजरात में उन्होंने गुजरात इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट बोर्ड के CEO के रूप में काम किया और वाइब्रेंट गुजरात शिखर सम्मेलन का सफल आयोजन किया। बाद में वह वीआरएस लेकर योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट में ऊर्जा मंत्री बन गए। यूपी में बिजली सुधारों में उनका योगदान अहम रहा है। स्मार्ट मीटरिंग, पावर फाइनेंसिंग और लोड बैलेंसिंग में उन्होंने तेजी दिलाई है।