अयोध्या, जिसे भगवान राम की जन्मभूमि के रूप में जाना जाता है, आज धार्मिक पर्यटन के साथ-साथ इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में भी एक नया इतिहास रच रही है। भले ही वाराणसी ने बीते वर्षों में घाटों और गलियों का कायाकल्प किया हो, लेकिन अयोध्या ने सिर्फ पांच वर्षों में विकास के जिस स्तर को छुआ है, वह काशी को पीछे छोड़ने की तैयारी में है।
2020 के बाद राम मंदिर निर्माण के साथ ही अयोध्या ने विकास की नई कहानी लिखनी शुरू की। उत्तर प्रदेश सरकार ने अयोध्या को वैश्विक धार्मिक पर्यटन केंद्र बनाने के लिए 20,000 करोड़ रुपये की परियोजनाएं शुरू कीं। इनमें से कई योजनाएं या तो पूरी हो चुकी हैं या अंतिम चरण में हैं। वहीं काशी में जहां 10 साल में 48,459 करोड़ का निवेश हुआ, अयोध्या ने सिर्फ 5 साल में ही 20,000 करोड़ का निवेश जुटा लिया है — यानी आधे समय में आधा सफर तय कर लिया।
अयोध्या में जनवरी 2024 में राम मंदिर के पास 241 करोड़ रुपये की लागत से आधुनिक रेलवे टर्मिनल बनकर तैयार हो गया, जबकि दूसरा चरण 480 करोड़ रुपये में बन रहा है। इसके अलावा, हवाई अड्डा, स्मार्ट रोड नेटवर्क, चौड़ी सड़कें और चौरासी कोसी परिक्रमा मार्ग जैसी परियोजनाएं अयोध्या को एक आधुनिक धार्मिक पर्यटन केंद्र में बदल रही हैं।
राम मंदिर के भव्य उद्घाटन के बाद अयोध्या में पर्यटकों की बाढ़ सी आ गई है। आंकड़े बताते हैं कि 2024 में अयोध्या में 1,64,41,59,522 पर्यटक पहुंचे, जो 2023 की संख्या 5,75,70,896 से तीन गुना अधिक है। पर्यटन विभाग के अधिकारियों ने बताया, “वाराणसी और मथुरा राज्य के पर्यटन में अहम भूमिका निभा रहे हैं।” वाराणसी में 2023 में 5,71,09,975 पर्यटक आए, जो 2024 में बढ़कर 6,12,80,615 हो गए। वहीं मथुरा में यह संख्या 2,91,51,429 से बढ़कर 3,60,88,561 हो गई। उन्होंने यह भी बताया कि प्रयागराज, चित्रकूट, कुशीनगर और मिर्जापुर जैसे अन्य धार्मिक स्थल भी पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं। प्रयागराज में 2,66,20,654, चित्रकूट में 1,17,48,104, कुशीनगर में 1,46,36,216 और मिर्जापुर में 26,048 पर्यटक आए।
जहां वाराणसी ने विकास को विरासत और संस्कृति से जोड़ा, वहीं अयोध्या का विकास पूरी तरह धर्म और आस्था पर केंद्रित है। रामलला का मंदिर न सिर्फ करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है, बल्कि यह पूरे शहर के लिए आर्थिक और इंफ्रास्ट्रक्चरल ग्रोथ का इंजन बन चुका है।