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CG News: दूध के दम पर आत्मनिर्भरता की कहानी, आगे बढ़ रहीं महिला, हर साल हो रही लाखों की आमदनी

CG News: दूध उत्पादन, पशुपालन और दुग्ध उत्पादों के माध्यम से महिलाएं न सिर्फ अपनी आय बढ़ा रही हैं, बल्कि परिवार की आर्थिक स्थिति को भी मजबूत कर रही हैं।

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बस्तर

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Love Sonkar

Dec 22, 2025

CG News: दूध के दम पर आत्मनिर्भरता की कहानी, आगे बढ़ रहीं महिलाएं, हर साल हो रही लाखों की आमदनी

CG News: ग्रामीण अंचलों की महिलाएं अब केवल गृहस्थी तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि डेयरी व्यवसाय को अपनाकर आत्मनिर्भरता की नई मिसाल कायम कर रही हैं। दूध उत्पादन, पशुपालन और दुग्ध उत्पादों के माध्यम से महिलाएं न सिर्फ अपनी आय बढ़ा रही हैं, बल्कि परिवार की आर्थिक स्थिति को भी मजबूत कर रही हैं। सरकारी योजनाओं, प्रशिक्षण और स्वयं सहायता समूहों के सहयोग से यह व्यवसाय महिलाओं के सशक्तिकरण का मजबूत माध्यम बनता जा रहा है।

रोजगार और स्वरोजगार के माध्यम से लोगों की आमदनी बढ़ाने के लिए बस्तर संभाग में डेयरी व्यवसाय को बढ़ावा दिया जा रहा है। एनडीडीबी के माध्यम से कांकेर और कोण्डागांव जिले में पायलट प्रोजेक्ट के तहत संचालित की जा रही। इस योजना में जनजातीय महिलाओं को डेयरी व्यवसाय से जोड़ा जा रहा है। गौरतलब है कि इस योजना का शुभारंभ मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय 01 जून 2025 को कोण्डागांव जिले के भोंगापाल गांव से इस योजना शुभारंभ किया था।

24 महिलाओं को 36 दुधारू पशु वितरित

बस्तर संभाग के कोण्डागांव एवं कांकेर जिले के 125 हितग्राहियों को ऋण एवं अनुदान पर दुधारू पशु प्रदाय के लक्ष्य के विरूद्ध अब तक 47 महिलाओं के आवेदन पत्र बैंक से ऋण स्वीकृति प्रदान की गई है, जिसमें से 24 महिलाओं को 36 दुधारू पशु वितरित किया गया है। हितग्राहियों को अच्छे नस्ल की दुधारू गाय प्रदान करने हेतु एनडीडीबी डेयरी सर्विसेस द्वारा साहीवाल नस्ल की गाय (8-10 लीटर दूध प्रतिदिन उत्पादन क्षमता) राजस्थान एवं पंजाब क्षेत्र से चिन्हित कर अनुसूचित जनजाति महिलाओं को वितरण किया जा रहा है।

दुग्ध महासंघ द्वारा वर्तमान में बस्तर संभाग अंतर्गत 95 कार्यशील दुग्ध समितियों के 4006 दुग्ध प्रदायकों के माध्यम से 15060 लीटर दूध प्रतिदिन संकलित किया जाकर, लगभग 8000 लीटर दूध प्रतिदिन कांकेर, कोण्डागांव, बस्तर, दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर जिलों में विपणन किया जा रहा है।

नवीन दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र की स्थापना

बस्तर संभाग में सहकारिता को बढ़ावा देने के लिए आगामी 5 वर्षाे में 400 नयें ग्रामों को दुग्ध समिति के माध्यम से जोड़ा जायेगा। जिसमें लगभग 9000 दूध प्रदायक जुड़ेगें एवं 48 हजार लीटर दूध संकलन किया जायेगा। इसके अतिरिक्त 28 हजार लीटर क्षमता के दुग्ध शीतलीकरण केन्द्रों एवं एक 1 लाख लीटर क्षमता का नवीन दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र की स्थापना बस्तर जिले में किया जायेगा।

यह योजना राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एन.डी.डी.बी.) की सहायक कंपनी एन.डी.डी.बी. डेयरी सर्विसेस की मदद से कार्यान्वित की जा रही है। इस योजना के तहत राज्य सरकार 2 दुधारू पशुओं की लागत राशि रूपये 1.40 लाख पर 50 प्रतिशत अनुदान 70 हजार प्रदान किया जा रहा है, शेष 40 प्रतिशत बैंक ऋण एवं 10 प्रतिशत राशि हितग्राही को वहन करना होता है।

अनुसूचित जनजाति महिला किसानों को आसानी से ऋण उपलब्ध कराने के लिए, छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी दुग्ध महासंघ ने छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक (CRGB) के साथ एक समझौता ज्ञापन निष्पादित किया है, जो रियायती ब्याज दर पर 4 साल की अवधि के लिए ऋण प्रदान करता है। दुग्ध महासंघ द्वारा ऋण की किश्त हितग्राही किसानों के दूध बिल से कटौती कर बैंक में जमा किया जाता है।

इसके अतिरिक्त, योजना अंतर्गत हितग्राहियों को एक वर्ष की अवधि के लिए निःशुल्क सहायता प्रदान किया जा रहा है, जिसमें- गाय की बीमा (एक साल के लिए), पशु स्वास्थ्य निगरानी उपकरण, 5 किलोग्राम साइलेज चारा, 2 किलोग्राम पशु आहार, एवं 50 ग्राम खनिज मिश्रण प्रति पशु प्रतिदिन प्रदान किया जा रहा है। पशु प्रेरण से पहले एवं बाद में वैज्ञानिक पशु प्रबंधन प्रणाली पर किसानों को प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके अतिरिक्त पशु चिकित्सा विभाग द्वारा पशु प्रजनन एवं स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करा रही है।

डेयरी इकाई स्थापना पश्चात् अनुसूचित जनजाति महिला हितग्राहियों से घरेलू उपयोग पश्चात अतिशेष दूध का क्रय दुग्ध महासंघ द्वारा निर्धारित मूल्य पर किया जाता है। दुग्ध संकलन को सरल करने के लिए दुग्ध महासंघ द्वारा नये दुग्ध समिति की स्थापना एवं दुग्ध संकलन मार्ग का गठन किया गया है। एक अनुसूचित जनजाति महिला हितग्राही द्वारा लगभग 12 लीटर दूध प्रतिदिन दुग्ध समिति में दिया जा रहा है, जिससे महिला हितग्राही को 1 माह में लगभग राशि रू. 13,000 प्राप्त होता है। जो कि अनुसूचित जनजाति महिला किसानों को उनकी आजीविका बढ़ाने, पोषण में सुधार करने एवं अनुसूचित जनजाति परिवारों के बीच आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने में सहायक सिद्ध हो रहा है।