Walking for Joint Pain : पैदल चलना एक सबसे आसान व्यायामों में से एक है। यह ब्लड शुगर को कम करने के साथ वजन को भी कम कर सकता है। लेकिन क्या आप जानते हैं। उल्टा चलने से घुटने का दर्द भी ठीक हो सकता है।
Walking Backwards Benefits : चलना हमारी हेल्थ को नियंत्रित रखने के लिए सबसे प्रभावी व्यायामों में से एक है। यह ब्लड शुगर को कंट्रोल करने, वजन घटाने में मदद करता है। हार्ट हेल्थ में सुधार करता है और जोड़ों को लचीला बनाए रखता है। लेकिन अब डॉक्टर इस रोजाना आदत को अपनाने का एक नया तरीका सुझा रहे हैं और वह है आगे की बजाय पीछे की ओर चलना।
रेट्रो वॉकिंग के नाम से चलने का यह तरीका फिजियोथेरेपी क्लीनिकों में लगातार लोकप्रिय हो रही है। डॉ अरुण कुमार शर्मा , (कंसल्टेंट फिजियोथेरेपी एंड रिहैबिलिटेशन) का कहना है कि यह घुटनों के दर्द को कम कर सकती है पैरो में ताकत बढ़ा सकती है और लंबे समय तक जोड़ों के स्वास्थ्य को बेहतर बना सकती है खासकर शुरुआती ऑस्टियोआर्थराइटिस, घुटने के आगे के दर्द या घुटने की चोटों से उबरने वाले लोगों के लिए।
पीछे की तरफ चलने का एक फायदा यह है कि इससे घुटने पर पड़ने वाला दबाव बदल जाता है। ऐसा करने से घुटने की टोपी पर तनाव कम होता है और दर्द से राहत मिल सकती है।
साल 2019 में बीएमसी मस्कुलोस्केलेटल डिसऑर्डर्स की एक रिसर्च से यह पता चला है कि जो लोग घुटनों के ऑस्टियोआर्थराइटिस की समस्या से जूझ रहे थे और उन्होंने 6 हफ्तों तक पीछे की ओर चलने का अभ्यास किया उनके घुटनों का दर्द काफी कम हो गया। साथ ही उनकी मांसपेशियों में भी मजबूती आई।
डॉ अरुण कुमार शर्मा ने कहा, जब हम आगे की ओर चलते हैं तो घुटने के सामने वाले हिस्से (घुटने की टोपी वाला हिस्सा) पर हर कदम के साथ काफी दबाव पड़ता है। पीछे की ओर चलने से उस हिस्से पर से दबाव हट जाता है। यह हैमस्ट्रिंग, ग्लूट्स और पिंडलियों जैसी मांसपेशियों पर भी अलग तरह से काम करता है जो घुटने को सहारा देने और स्थिर रखने में मदद करती हैं। जब आप ऐसा करते रहते हैं तो यह जोड़ की सुरक्षा कर सकता है और बिना दर्द के चलना आसान बना सकता है।
रेट्रो वॉकिंग फिटनेस को भी बढ़ावा दे सकती है और आपके वजन घटाने के लक्ष्यों को हासिल करने में भी आपकी मदद कर सकती है। पीछे की ओर चलने से हार्ट रेट बढ़ती है और उसी गति से आगे की ओर चलने की तुलना में ज्यादा कैलोरी बर्न होती है।
पीछे की ओर चलने के लिए आपको किसी समतल और साफ जगह पर अभ्यास करना चाहिए, जहां कोई रुकावट न हो। शुरुआत में 2-3 मिनट के छोटे-छोटे सेशन से शुरू करें और धीरे-धीरे समय बढ़ाएं। अगर आपको सहारे की जरूरत हो तो रेलिंग, दीवार या ट्रेडमिल के हैंडल का इस्तेमाल कर सकते हैं। फिसलने से बचने के लिए सही जूते पहनना बहुत ज़रूरी है।
अगर आपको संतुलन से जुड़ी कोई गंभीर समस्या है हाल ही में कोई चोट लगी है, या देखने में परेशानी होती है तो पीछे चलने का अभ्यास शुरू करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें। यह हर किसी के लिए कोई जादू की दवा नहीं है और इसे गलत तरीके से करने पर घुटने का दर्द कम होने के बजाय और बढ़ सकता है।
दर्द से राहत के साथ-साथ पीछे की ओर चलने से दिमाग और शरीर को नई तरह की हलचल से तालमेल बिठाने में मदद मिलती ह, जिससे संतुलन और तालमेल बेहतर होता है। इससे शरीर का पोस्चर और कोर मसल्स भी मजबूत होती हैं और यह दिल के लिए भी एक अच्छी कसरत साबित होती है।
यह सिर्फ दर्द कम करने का तरीका नहीं है। पीछे की ओर चलने से मांसपेशियों की फिर से ट्रेनिंग होती है शरीर पर हमारा कंट्रोल बेहतर होता है और जोड़ों की सेहत भी सुधरती है।
अगर आप सही तरीके से पीछे की ओर चलते हैं तो यह आपके जोड़ों को मजबूत रखने आपके घुटनों की सुरक्षा करने और उम्र बढ़ने के साथ बेहतर गति प्रदान करने की एक आसान कम प्रभाव वाली आदत हो सकती है।