चीन ने ताइवान के चारों ओर बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास शुरू किया है, जिसका कोडनेम ‘शील्ड ऑफ जस्टिस’ दिया है।
अपनी विस्तारवादी नीति के तहत चीन लगातार ताइवान को अपना हिस्सा बताता है। इस बीच अमरीका ने जब से ताइवान को 11 बिलियन डॉलर के रक्षा उपकरण देने को कहा है। तब से चीन भडक़ा हुआ है। अब उसने ताइवान को घेर कर एक बड़ा युद्धाभ्यास शुरू किया है। जस्टिस मिशन 2025 कोडनेम वाले इस युद्धाभ्यास को शुरू ही द्वीपों पर कब्जा करने की ट्रेनिंग के तौर पर किया गया है। तो क्या ड्रैगन अब सच में ताइवान पर कब्जा कर सकता है?
चीनी सेना की ईस्टर्न थिएटर कमांड ने इस युद्धाभ्यास को शील्ड ऑफ जस्टिस नाम दिया है। एक पोस्ट के जरिए बताया गया है कि आजादी की साजिश रचने वाले सभी लोग इस ढाल का सामना करने पर खत्म हो जाएंगे। ड्रिल में चीनी कोस्ट गार्ड(सीसीजी) भी शामिल हैं।ड्रिल से जुड़ा एक पोस्टर भी जारी किया गया है। चीन ने ताइवान के चारों ओर एम्फीबियस र्फोसेस को तैनात किया है। वहीं सीसीजी के जहाजों ने भी तीन दिशाओं से ताइवान की घेराबंदी की है। ताइवान ने भी अपनी सेनाओं को हाई अलर्ट पर रखा है।
लंबे समय से चीन शांतिपूर्ण तरीके से ताइवान को अपने भूभाग में शामिल करने को कहता आया है। लेकिन अब उसका कहना है कि चीन में एक कानून यह भी है कि वह अपने भूभाग से किसी द्वीप को अलग होने से रोकने क लिए अशांतिपूर्ण तरीकों का भी सहारा ले सकता है। इसी मंशा के तहत बीजिंग ने ताइवान के राष्ट्रपति पर ताइवान की आजाद हासिल करने का आरोप लगाया है। जिस पर ताइवान के राष्ट्रपति का कहना है कि वह संप्रभु देश है उसे ऐसा करने की कोई जरूरत नहीं है।
चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने ताइवान को चारों ओर से घेर कर ब्लॉकेड ड्रिल शुरू की है। इसमें ताइवान के मुख्य बंदरगाहों को ब्लॉक करने,हवाई और समुद्री मार्गों पर नाकाबंदी करने का अभ्यास भी शामिल है। इस ड्रिल में चीन की नौसेना, वायुसेना, रॉकेट फोर्स शामिल है। ताइवान जलडमरूमध्य के जल और हवाई क्षेत्र में चीन के लड़ाकू विमान, यूएवी, बमवर्षक, युद्धपोत युद्धाभ्यास कर रहे हैं। ड्रिल के जरिए चीन एक मल्टी डायमेंशनल डिटरेंस का परीक्षण करना चाहता है। साथ ही चीन बाहरी उकसावे या मदद पर जवाब देना भी चाहता है खासकर अमरीका और जापान को।