Rajasthan education: नामांकन में इस वृद्धि के पीछे कई ठोस कारण सामने आए हैं। एक ओर जहां माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा घोषित परीक्षा परिणामों में सुधार हुआ है, वहीं दूसरी ओर परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण 2024 में राज्य का प्रदर्शन राष्ट्रीय औसत से बेहतर रहा है।
Government Schools in Rajasthan: जयपुर। राजस्थान में एक बार फिर राजकीय विद्यालयों की छवि मजबूत होती नजर आ रही है। हाल ही में संपन्न हुए प्रवेशोत्सव में रिकॉर्ड स्तर पर विद्यार्थियों का नामांकन हुआ है, जिससे स्पष्ट है कि आमजन का विश्वास अब सरकारी शिक्षा व्यवस्था पर फिर से लौट रहा है। जहां पिछले वर्ष लगभग 6 लाख छात्रों ने राजकीय विद्यालयों में प्रवेश लिया था, वहीं इस वर्ष यह आंकड़ा दोगुने से भी अधिक बढ़कर 12 लाख 27 हजार के पार पहुंच गया है। यह बदलाव शिक्षा विभाग की योजनाबद्ध और समर्पित कार्यशैली का परिणाम माना जा रहा है।
नामांकन में इस वृद्धि के पीछे कई ठोस कारण सामने आए हैं। एक ओर जहां माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा घोषित परीक्षा परिणामों में सुधार हुआ है, वहीं दूसरी ओर परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण 2024 में राज्य का प्रदर्शन राष्ट्रीय औसत से बेहतर रहा है। इसके अतिरिक्त, शिक्षा विभाग ने विद्यालयों में स्मार्ट क्लासरूम, आईसीटी लैब्स, पुस्तकालय और बालिकाओं की सुविधा के लिए विशेष व्यवस्थाएं की हैं, जो नामांकन वृद्धि का आधार बनी हैं।
परख सर्वेक्षण 2024 के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थियों ने शहरी बच्चों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है। विशेषकर बालिकाओं ने इस सर्वेक्षण में अधिक अंक प्राप्त किए। कक्षा तीन के भाषाई ज्ञान में राजस्थान का औसत 70 प्रतिशत रहा, जबकि राष्ट्रीय औसत 64 प्रतिशत था। इसी तरह गणित में राज्य का औसत 66 प्रतिशत रहा, जो कि राष्ट्रीय औसत 60 प्रतिशत से बेहतर है। इस रुझान ने ग्रामीण क्षेत्र के अभिभावकों को सरकारी स्कूलों की ओर आकर्षित किया है।
राज्य में सबसे अधिक नामांकन कराने वाले जिलों में उदयपुर (57,596), भीलवाड़ा (56,285), जयपुर (53,530), बांसवाड़ा (52,958) और बाड़मेर (51,225) प्रमुख रहे। इनमें विद्यार्थियों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है, जिससे साफ है कि सरकारी स्कूलों की विश्वसनीयता बढ़ी है।
नामांकन में छात्र-छात्राओं की संख्या लगभग समान रही। कुल 12 लाख 1 हजार में से 6 लाख 6 हजार 664 छात्र, जबकि 5 लाख 95 हजार 215 छात्राएं शामिल हैं। यह आंकड़ा शिक्षा में लैंगिक समानता की दिशा में भी एक सकारात्मक संकेत है।
शिक्षा विभाग ने इस सफलता का श्रेय समाज और स्कूलों के बीच बने तालमेल को दिया है। स्कूलों में समय पर पाठ्यपुस्तक वितरण, पोषाहार, यूनिफॉर्म और शिक्षकों की उपस्थिति की सख्ती ने सरकारी विद्यालयों की गुणवत्ता में सुधार किया है। साथ ही पंचायत स्तर पर जनभागीदारी से शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ी है।
राजकीय विद्यालयों में नामांकन में हुई यह ऐतिहासिक बढ़ोतरी केवल एक आंकड़ा नहीं, बल्कि एक सामाजिक बदलाव का संकेत है। यह दर्शाता है कि यदि सरकारी तंत्र ईमानदारी और योजना के साथ कार्य करे, तो आमजन का भरोसा फिर से हासिल किया जा सकता है। आने वाले वर्षों में यह वृद्धि शिक्षा व्यवस्था के नए युग की ओर संकेत करती है।