Jalore Bio CNG Project: राजस्थान के जालोर जिले के चांदराई क्षेत्र में 600 करोड़ रुपए की लागत से 10 बायो-सीएनजी प्लांट स्थापित किए जाएंगे। गुजरात के बाद राजस्थान में यह पहला इतना बड़ा प्रोजेक्ट है।
Jalore Bio CNG Project: राजस्थान के जालोर जिले के आहोर उपखंड का चांदराई कस्बा भविष्य में बायो-सीएनजी गैस उत्पादन का बड़ा हब बनेगा। बायो-सीएनजी गैस उत्पादन के लिए नेपियर घास, गोबर और कृषि अपशिष्ट (एग्री वेस्ट) को कच्चे माल के रूप में उपयोग किया जाएगा।
इसके लिए चांदराई सहित आसपास के गांवों की लगभग 10 हजार बीघा भूमि पर नेपियर की खेती कराई जाएगी। इसके लिए किसानों के साथ अनुबंध किए जाएंगे, जिससे उन्हें एक स्थायी और सुनिश्चित आय का साधन मिलेगा।
नेपियर की रोपाई, कटाई, ढुलाई और देखरेख के कार्यों में भी बड़ी संख्या में ग्रामीणों को रोजगार मिलेगा, जिससे गांवों की आर्थिक स्थिति और मजबूत होगी।
चांदराई में सोमवार को प्रस्तावित बायो-सीएनजी गैस प्लांट का विधिवत भूमि पूजन कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि ऊमसिंह चांदराई, केम प्रोसेस सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक जिग्नेश भाई मथानिया, अभय भाई, राहुल भाई सहित क्षेत्र के कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
सोमनाथ बायो गैस प्राइवेट लिमिटेड व सोमनाथ एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड की ओर से चांदराई क्षेत्र में लगभग 600 करोड़ रुपए की लागत से 10 बायो-सीएनजी प्लांट स्थापित किए जाएंगे। यह परियोजना अलग-अलग प्लॉटों पर चरणबद्ध तरीके से विकसित की जाएगी।
यहां अत्याधुनिक तकनीक से गैस उत्पादन, भंडारण और प्रसंस्करण की आधुनिक सुविधाएं तैयार की जाएंगी। प्लांट के निर्माण व संचालन के दौरान सैकड़ों स्थानीय युवाओं को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलने की संभावना है।
निर्माण कार्य, मशीन संचालन, सुरक्षा व्यवस्था, परिवहन, रखरखाव और प्रशासनिक कार्यों में स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। इससे क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और मजदूरी के लिए पलायन पर भी रोक लगेगी।
कंपनी के प्रतिनिधियों ने बताया कि गुजरात के बाद राजस्थान में यह पहला इतना बड़ा बायो-सीएनजी प्रोजेक्ट है और जालोर जिला इस क्षेत्र में अग्रणी बनने जा रहा है। इसके साथ ही आहोर क्षेत्र औद्योगिक दृष्टि से एक बड़े बदलाव की ओर अग्रसर हो गया है।
यह बायो-सीएनजी प्लांट पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी एक मजबूत पहल साबित होगा। जैविक कचरे और कृषि अपशिष्ट से स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन कर प्रदूषण कम किया जाएगा और हरित ऊर्जा को बढ़ावा मिलेगा।