
सीकर। प्रदेश में भीषण गर्मी के बीच हांफ रहे पशुओं के लिए नेपियर घास वरदान बनी हुई है। साल भर हरा चारा मिलने से न केवल पशुपालकों को हजारों रुपए की बचत हो रही है वहीं सामान्य हरे चारे की तुलना में कई गुना प्रोटीन व मिनरल से भरपूर इस घास को लगातार खाने से पशुपालकों के मवेशी हीट स्ट्रोक की चपेट में आने से बचे हुए हैं।
प्रदेश में पशुओं को हरा चारा उपलब्ध कराने के लिए कृषि विभाग ने जिले में अनुदान पर हाइब्रिड नेपियर घास के आठ सौ हेक्टैयर से ज्यादा क्षेत्र प्रदर्शन लगाए गए हैं। इसके फायदे देखते हुए अन्य किसान ने भी नेपियर घास की बुवाई की जिसके कारण इसका क्षेत्र जिले में एक हजार हेक्टैयर से ज्यादा पहुंच चुका है।
हर तीन माह में 20 टन से ज्यादा
नेपियर घास की प्रकृति शीतल होने के कारण पशुओं में हीट स्ट्रोक की आशंका भी कम रहती है। वहीं इस घास की एक बार बुवाई करनी होती है। इसके बाद 8 से 10 साल तक अच्छी पैदावार ली जा सकती है। नेपियर घास में 55 से 60% ऊर्जा तत्व एवं 8 से 10% प्रोटीन होते हैं। किसानों का दावा है कि चार साल तक चारे की कटाई होने से इस घास से हर 3 महीने में एक बीघा में कटाई से किसान 20 टन से ज्यादा उपज ले सकता है।
नेपियर घास की बुवाई जुलाई से अक्टूबर के बीच की जाती है। इस घास की पहली कटाई बुवाई के दो माह बाद की जाती है। इसके बाद हर माह इस घास की कटाई होती है। पौष्टिक होने से इसका असर दुग्ध उत्पादन के साथ ही पशुओं के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है।
Published on:
19 Jun 2024 07:27 pm
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