बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए को 202 सीटें मिलीं, जिसमें भाजपा को 89 और जदयू को 85 सीटें मिलीं। नीतीश कुमार 10वीं बार मुख्यमंत्री की शपथ लेंगे, हालांकि उन्होंने 30 साल से विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा है।
बिहार विधानसभा चुनाव में सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए को प्रचंड जीत मिली है। एनडीए ने इस बार 202 सीटों पर कब्जा जमाया है। भाजपा 89 सीटें जीतकर बिहार में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, जबकि जदयू ने 85 सीटें जीती हैं।
इस जीत के साथ, नीतीश कुमार 10वीं बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे। दिलचस्प बात यह है कि नीतीश कुमार ने पिछले साल 30 साल से विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा है। इसके बावजूद वह सीएम बन जाते हैं।
दरअसल, बिहार में मुख्यमंत्री बनने के लिए विधानसभा का सदस्य होना जरूरी नहीं है, विधान परिषद का सदस्य होना भी पर्याप्त है। नीतीश कुमार विधान परिषद के माध्यम से मुख्यमंत्री बनते हैं।
नीतीश कुमार ने आखिरी बार 1995 में विधानसभा चुनाव लड़ा था। उन्होंने हरनौत सीट से समता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज की थी। तब उन्होंने जनता दल के उम्मीदवार विष्वमोहन चौधरी को शिकस्त दी थी। इसके बाद उन्होंने कभी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा।
नीतीश कुमार का मुख्यमंत्री के रूप में पहला कार्यकाल साल 2000 में सिर्फ 7 दिनों का था, लेकिन इसके बाद उन्होंने 2005 से 2014 तक लगातार मुख्यमंत्री पद संभाला। 2014 में ही कुछ महीनों के लिए उन्होंने जीतन राम मांझी को बिहार का सीएम बनाया, लेकिन विवाद के बाद उन्हें हटा दिया।
नीतीश कुमार, 2015 में फिर बिहार के सीएम बने। तब से अब तक वह मुख्यमंत्री हैं। नीतीश कुमार ने कुल 9 बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। अब दसवीं बार शपथ लेने वाले हैं।
इसी तरह, नीतीश कुमार का नाम उन नेताओं के साथ जुड़ गया है, जो देश में सबसे अधिक समय तक सीएम पद पर रहे। पवन कुमार चामलिंग को भारत में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले नेता के रूप में जाना जाता है। वह लगातार 24 साल 166 दिन तक सिक्किम के सीएम बने रहे।
इसके बाद नविन पटनायक सीएम के रूप में सबसे लंबा कार्यकाल रहा है। वह लगातार 24 साल 99 दिन तक ओडिशा के मुख्यमंत्री रहे। इस लिस्ट में तीसरा नाम ज्योति बासु का आता है। जो लगातार 23 साल 138 दिन तक पश्चिम बंगाल के सीएम रहे।
वहीं, गोगोंग अपांग भी सबसे अधिक समय तक सीएम रहे हैं। उन्होंने लगातार 22 साल 250 दिन तक अरुणाचल प्रदेश के सीएम के रूप में काम किया। इनके बाद लाल थनहवला देश में सबसे अधिक समय तक सीएम पद पर रहे। वह लगातार 22 साल 59 दिनों तक मिजोरम के मुख्यमंत्री रहे।
सबसे अधिक समय तक सीएम पद पर रहने के मामले में हिमाचल प्रदेश के पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह का भी नाम आता है। वह लगातार 21 साल 13 दिनों तक मुख्यमंत्री पद पद काबिज रहे।
इस लिस्ट में सातवें स्थान पर माणिक सरकार हैं। जो लगातार 19 साल 363 दिन तक त्रिपुरा के सीएम पद पर काबिज रहे। आठवें स्थान पर नीतीश कुमार का नाम है। जो लगातार 19 साल 83 दिन से मुख्यमंत्री पद पर बैठे हैं।
नीतीश कुमार का जन्म 1 मार्च 1951 को बिहार के बख्तियारपुर में हुआ था। उनके पिता कविराज राम लखन सिंह एक स्वतंत्रता सेनानी और आयुर्वेदिक वैद्य थे।
नीतीश कुमार ने अपनी शिक्षा बिहार इंजीनियरिंग कॉलेज (अब एनआईटी) से पूरी की थी। बाद में बीएसईबी (बिहार स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड) में इंजीनियर के रूप में काम किया था।
नीतीश कुमार का राजनीतिक कैरियर 1974 में जयप्रकाश नारायण के आंदोलन से शुरू हुआ। वह इमरजेंसी के दौरान कई नेताओं के साथ जेल भी गए। इसी के बाद वह चर्चा में आए।
1985 में वह पहली बार हरनौत विधानसभा से चुनाव जीते। इसके बाद 1989 में बाढ़ से लोकसभा सांसद बने। 1994 में नीतीश ने जॉर्ज फर्नांडिस के साथ मिलकर समता पार्टी बनाई।
नीतीश कुमार 1998-99 के बीच रेल मंत्री रहे थे। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में रेल मंत्री का पद संभाला था। एक ट्रेन हादसे के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
2000 में पहली बार नीतीश बिहार के मुख्यमंत्री बने, हालांकि यह कार्यकाल सिर्फ 7 दिनों का था। वह सदन में बहुमत साबित नहीं कर पाए।
इसके बाद कुछ ऐसा हुआ, जिसको लेकर 2003 में नीतीश कुमार ने जनता दल (यूनाइटेड) पार्टी बना ली। इसमें समता पार्टी का विलय कराया गया। 2005 के विधानसभा चुनाव में सीएम नीतीश को प्रचंड जीत मिली और मुख्यमंत्री बन गए।
नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार पहला ऐसा राज्य बना, जहां 2006 में महिलाओं के लिए पंचायत चुनाव में 50 प्रतिशत से आरक्षित की गईं। बाद में यह फैसला शहरी निकायों में भी लागू किया गया।
साल 2006 में नीतीश सरकार ने एक योजना लागू की, जिसके तहत कक्षा 9वीं की छात्राओं को साइकिल खरीदने के लिए 2000 रुपये दिए गए। ताकि स्कूल में उनकी उपस्थिति बढ़ सके।