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पुराने इंजीनियर 9000 पर अटके और नए की 10500 रुपये से शुरुआत, प्रमोशन में भेदभाव से भड़के कर्मचारी

नई प्रमोशन नीति में यह प्रावधान है कि अगर किसी कर्मचारी को 10, 20 और 30 साल तक प्रमोशन नहीं मिलता है तो उसे फाइनेंशियल अपग्रेडेशन मिलेगा।

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Sep 03, 2025
रेलवे में ग्रेजुएट और डिप्लोमा इंजीनियर में तनातनी चल रही है। (Photo : Patrika)

Indian Railways में नए और पुराने इंजीनियरों में प्रमोशन को लेकर तनातनी बढ़ गई है। दरअसल, पहले भर्ती इंजीनियर प्रमोशन पाने के बावजूद सैलरी के उस लेवल तक नहीं पहुंच पा रहे, जहां नए इंजीनियर आसानी से पहुंच जाते हैं। ऐसा उनका नौकरी ज्वाइन करने के समय तय की गई ग्रेड पे के कारण हो रहा है। इस कड़ी में रेलवे के डिजाइन और ड्रॉइंग कैडर में तैनात ग्रेजुएट इंजीनियरों ने Modified Assured Career Progression Scheme (MACPS) में भेदभाव का आरोप लगाया है। इंडियन रेलवे टेक्निकल सुपरवाइजर्स एसोसिएशन (IRTSA) ने रेलवे बोर्ड से मांग की है कि इस कैडर के सभी सीधे भर्ती ग्रेजुएट इंजीनियरों के लिए एंट्री ग्रेड को ग्रेड पे 4600 रुपये / पे लेवल-7 तय किया जाना चाहिए।

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10500 रुपये ग्रेड पे पर भर्ती हो रहे नए इंजीनियर

IRTSA का कहना है कि 1998 से पहले भर्ती हुए ग्रेजुएट इंजीनियरों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। उस समय उनकी भर्ती 5500–9000 रुपये वेतनमान (GP 4200) में होती थी, जबकि 1998 के बाद से यही भर्ती 6500–10500 (GP 4600 रुपये) पर शुरू हुई। इससे पुराने इंजीनियरों को MACPS में वही फायदा मिल रहा है, जो डिप्लोमा होल्डर्स को मिलता है, जबकि नए इंजीनियर लेवल-10 तक पहुंच सकते हैं। बता दें कि लेवल 10 की बेसिक सैलरी 56100 - 1,77,500 रुपये महीने है। एसोसिएशन ने उदाहरण देकर समझाया कि आईसीएफ चेन्नै में भर्ती एक इंजीनियर 1990 में ज्वॉइन करने के बावजूद 3 MACPS के बाद सिर्फ लेवल-9 तक पहुंच पाया, जबकि 2004 में भर्ती हुआ ग्रेजुएट इंजीनियर लेवल-10 तक।

क्या है MACPS और कैसे करता है काम?

ऑल इंडिया रेलवेमेन फेडरेशन के महासचिव शिव गोपाल मिश्रा ने बताया कि सरकारी कर्मचारियों के लिए शुरू की गई Modified Assured Career Progression Scheme (MACPS) प्रमोशन से जुड़ी योजना है। इसमें यह प्रावधान है कि अगर किसी कर्मचारी को 10, 20 और 30 साल तक प्रमोशन नहीं मिलता है तो उसे फाइनेंशियल अपग्रेडेशन मिलेगा। इसका मतलब पद वही रहेगा, लेकिन पे लेवल बढ़ जाएगा। MACPS का फायदा एंट्री ग्रेड से गिना जाता है।

IRTSA ने बोर्ड के सामने क्या रखी दलील

संगठन का कहना है कि ACP/MACP का मकसद है कि किसी भी कर्मचारी को Pay Scale Merger या प्रमोशन के कारण नुकसान न हो। लेकिन डिजाइन कैडर के पुराने ग्रेजुएट इंजीनियर इस नीति के तहत डिप्लोमा इंजीनियरों के बराबर गिने जा रहे हैं, जिससे उनकी आगे की सर्विस पर असर पड़ रहा है। IRTSA ने रेलवे बोर्ड से मांग की है कि 1998 से पहले भर्ती ग्रेजुएट इंजीनियरों को भी GP 4600 रुपये / पे लेवल-7 से MACPS की गिनती शुरू की जाए, ताकि सभी कैडर में समान मौके मिलें।

Updated on:
03 Sept 2025 12:59 pm
Published on:
03 Sept 2025 12:56 pm
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