पंडित नेहरू ससुराल तो नहीं जाते थे, लेकिन दिल्ली की कश्मीरी बिरादरी से उनका गहरा नाता था। जन्म कश्मीर में न होने पर भी वे दिल से कश्मीरी थे।
Children’s Day Special: दिल्ली-6 के भूगोल से परिचित कोई भी व्यक्ति सीताराम बाजार को अच्छी तरह जानता है। यह इलाका हर पल चहल-पहल से भरा रहता है। लेकिन इसी सीताराम बाजार में एक हवेली का सन्नाटा डराता है। लगता है, लंबे अरसे से यहां कोई नहीं रहता। यह कोई साधारण हवेली नहीं है। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू 8 फरवरी 1916 को बैंड-बाजा-बारात के साथ कमला से विवाह बंधन में बंधने इसी हवेली में आए थे। शादी के बाद नेहरू कभी यहां नहीं आए। क्यों नहीं आए, यह कोई नहीं जानता।
कमला का जन्म 1 अगस्त 1899 को दिल्ली के एक कश्मीरी ब्राह्मण परिवार में हुआ। उनके पिता जवाहरमल दिल्ली के कश्मीरी बिरादरी में सम्मानित इंसान के रूप में देखे जाते थे। कमला का बचपन दिल्ली की गलियों में बीता, जहां पारंपरिक कश्मीरी संस्कृति का प्रभाव था। 1916 में मात्र 17 वर्ष की आयु में उनका विवाह जवाहरलाल नेहरू से हुआ। विवाह दिल्ली में ही हुआ, जिसके बाद वह इलाहाबाद चली गईं। दिल्ली से उनका भावनात्मक लगाव बना रहा।
1920 के दशक से कमला नेहरू सक्रिय रूप से स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया। 1930 के नमक सत्याग्रह के दौरान वे इलाहाबाद से दिल्ली आकर कांग्रेस की बैठकों में शामिल हुईं। दिल्ली में वे गांधीजी से मिलीं और असहयोग आंदोलन में महिलाओं को संगठित किया। 1931 में उन्हें दिल्ली में गिरफ्तार किया गया और वे करोलबाग जेल में बंद रहीं। दिल्ली उनकी गिरफ्तारियों और रिहाई का साक्षी बना। स्वास्थ्य खराब होने पर भी वे दिल्ली में आयोजित कांग्रेस अधिवेशनों में भाग लेती रहीं।
कमला का परिवार दिल्ली की कश्मीरी पंडित बिरादरी में प्रसिद्ध और कुलीन माना जाता था। घर में कवि सम्मेलन व मुशायरे नियमित आयोजित होते थे, जो इसे गुलजार बनाए रखते थे। 1850 के आसपास कश्मीरी पंडित परिवार दिल्ली में बसने लगे। इसी दौर में उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद व आगरा में भी कई परिवार आए। इनकी पहचान थे हक्सर, कुंजरू, कौल, टिक्कू जैसे सरनेम। कमला का परिवार भी उसी समय दिल्ली आकर बस गया। कश्मीरी जुबान पीछे छूट गई और हिंदुस्तानी ने जगह ले ली।
कमला ने जामा मस्जिद के निकट इंद्रप्रस्थ हिंदू कन्या विद्यालय से शिक्षा प्राप्त की। यह दिल्ली में लड़कियों का पहला स्कूल माना जाता है और आज भी संचालित है। इसकी स्थापना 1904 में हुई थी। इसका प्रबंधन इंद्रप्रस्थ कॉलेज भी चलाता है। दिल्ली-6 के सामाजिक कार्यकर्ता आशीष वर्मा बताते हैं कि नेहरू के ससुराल वालों ने 1970 के दशक में हवेली बेच दी। तभी से इसके बुरे दिन शुरू हो गए। अब इसे देखने वाला कोई नहीं और रास्ता बताने वाला भी मुश्किल से मिलता है।
इंदिरा गांधी चुनाव प्रचार के दौरान ननिहाल अवश्य आती थीं। दिल्ली-6 की सभाओं में वे बताना नहीं भूलतीं कि उनका ननिहाल सीताराम बाजार में है। आखिरी बार वे 1980 के लोकसभा चुनाव में मां के घर आईं। साथ थे उनके सचिव आर.के. धवन और दिल्ली के प्रमुख नेता हरकिशन लाल भगत।
1946 में अंतरिम सरकार के मुखिया बनने पर नेहरू दिल्ली शिफ्ट हो गए। वे 17 मोतीलाल नेहरू रोड (पहले यॉर्क रोड) के बंगले में रहे। यहीं से 14 अगस्त 1947 की रात वे वायसराय हाउस (बाद में राष्ट्रपति भवन) शपथ लेने गए। यह बंगला करीब साढ़े तीन एकड़ में फैला है। ये प्राइवेट बंगला है।
नेहरू परिवार की दिल्ली से सबसे मजबूत कड़ी "तीन मूर्ति भवन" है, जो मूलतः ब्रिटिश कमांडर-इन-चीफ का निवास था। 1947 में भारत की आजादी के बाद इसे जवाहरलाल नेहरू को आवंटित किया गया। वे 1947 से 1964 तक यहीं रहे और यहीं से देश का संचालन किया।
पंडित नेहरू ससुराल तो नहीं जाते थे, लेकिन दिल्ली की कश्मीरी बिरादरी से उनका गहरा नाता था। जन्म कश्मीर में न होने पर भी वे दिल से कश्मीरी थे। कश्मीर से जुड़ी हर चीज उन्हें पसंद थी। स्थानीय कश्मीरी समुदाय उनकी सहमति से 17 यॉर्क रोड पर शानदार भोज आयोजित करता था। हिंदू-मुस्लिम कश्मीरी इसमें शामिल होते। दिवंगत शायर गुलजार देहलवी बताते थे कि इन आयोजनों में नेहरू सबसे मिलते-जुलते थे। उनका पत्नी कमला के कारण यह रिश्ता और मजबूत हुआ।
नेहरू ने इंदिरा की शादी करवाने के लिए पंडित लक्ष्मी धर शास्त्री, जो दिल्ली विश्वविद्यालय में संस्कृत प्रोफेसर थे, को बुलाया था। इंदिरा-फिरोज गांधी की शादी 2 अगस्त 1942 को हुई थी। शास्त्री ने 1922 से 1949 तक सेंट स्टीफंस कॉलेज में संस्कृत पढ़ाया था। वह देहलवी के मामा थे। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय का आदर्श वाक्य ‘निष्ठा धृति सत्यम्’ लिखा।
खैर, आज गांधी-नेहरू परिवार की हवेली खराब हालत में है और इसके स्वामित्व पर भी विवाद है। फिर भी, यह दिल्ली के इतिहास की जीती-जागती गवाह बनी हुई है। उधर, नेहरू का दिल्ली में पहला घर हाल ही में बिक गया है।