राजस्थान ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग ने वीवीपी-2 शुरू किया है। इस योजना में प्रदेश के चार जिलों के 184 गांवों का चयन हुआ है। जानिए योजना से क्या लाभ होगा।
जयपुर। राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों को नई पहचान दिलाने और सरहद पर बसे लोगों का जीवन स्तर सुधारने के लिए राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग ने वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम-द्वितीय (वीवीपी-2) शुरू किया है। इस महत्वाकांक्षी योजना में श्रीगंगानगर, बीकानेर, बाड़मेर और जैसलमेर जिलों के 184 गांवों का चयन हुआ है।
इस योजना में केंद्र सरकार ने 6,839 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया है। इसे वित्तीय वर्ष 2025 से 2029 तक चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। यह योजना देश के 15 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों के सीमांत इलाकों में लागू होगी। ग्रामीण विकास विभाग का मानना है कि इस कार्यक्रम से सरहद के गांवों को नई दिशा मिलेगी। युवाओं को शिक्षा, रोजगार और तकनीकी सुविधाओं तक पहुंच बढ़ेगी।
वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम का मुख्य उद्देश्य सरहद पर बसे लोगों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराना है। इसमें डिजिटल कनेक्टिविटी, 4-जी नेटवर्क, ऑन-ग्रिड बिजली, सड़क संपर्क (पीएमजीएसवाई), टेलीविजन और डिजिटल इंडिया से जुड़े प्रोजेक्ट शामिल हैं। इसके साथ ही सीमावर्ती गांवों के युवाओं को मुख्यधारा से जोड़कर देशभक्ति की भावना जगाना और उन्हें सीमा सुरक्षा में सहभागी बनाना भी मकसद है।
इस प्रयास से न केवल गांवों का सामाजिक-आर्थिक विकास होगा बल्कि सीमा क्षेत्र की सुरक्षा भी और मजबूत बनेगी। योजना के क्रियान्वयन के लिए चयनित जिलों के कलक्टर हाल ही में दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में शामिल हुए, जहां विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई।
वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत राज्य के श्रीगंगानगर, बाड़मेर, बीकानेर और जैसलमेर का चयन किया गया है। इसमें श्रीगंगानगर के 68 गांव सहित कुल 184 गांवों का विकास किया जाएगा।
-गिरधर, आईएएस व सीइओ जिला परिषद, श्रीगंगानगर।