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श्रीगंगानगर । सतलुज नदी में आई बाढ़ बॉर्डर के इस पार और उस पार भारी तबाही मचा रही है। इस पार भारत का पंजाब है तो उस पार पाकिस्तान का। विभाजन से पहले इधर चढ़दा पंजाब (सूर्योदय) था तो उधर लहंदा पंजाब (सूर्यास्त) था। अब दोनों के बीच रेडक्लिफ रेखा खींची होने के बाद भी बाढ़ से हो रही बर्बादी के दृश्य देख आंखों से निकल रहे आंसू एक ही नदी के पानी में घुल रहे हैं। इधर बाढ़ से घिरे गांवों के लोग वाहे गुरु से अरदास कर रहे हैं तो उधर संकट से उबारने के लिए अल्लाह की इबादत।
बाढ़ से दोनों तरफ हजारों एकड़ धान व कॉटन की फसल बर्बाद हो चुकी है। पानी की धार न जाने कितने मवेशियों को अपने साथ बहा ले गई। खेतों में बने आलीशान मकान ताश के पत्तों की तरह ढह गए। सैकड़ों गांव पानी से घिरे हुए हैं। मकानों में रखा सामान तहस-नहस हो गया। पानी की चपेट में आकर चारा खराब होने से पशु भूख से बिलबिला रहे हैं। मीलों तक फैले पानी के बीच उनके लिए चारे की व्यवस्था करना आसान नहीं।
आमतौर पर बा़ढ़ का पानी हफ्ते भर में उतर जाता है और जिंदगी पटरी पर आ जाती है। इस बार हालात विकट हैं। हिमाचल में हो रही भारी बारिश से पोंग, भाखड़ा और रणजीत सागर बांध का जलस्तर जलग्रहण क्षमता तक पहुंचने के कारण पानी की निकासी करनी पड़ रही है, जिससे बाढ़ का रौद्र रूप शांत नहीं हो रहा।
इस समय पंजाब में सतलुज, रावी और व्यास नदियों में जलस्तर बढ़ने से पठानकोट, गुरदासपुर, तरनतारन, होशियारपुर, कपूरथला, जालंधर, फिरोजपुर और फाजिल्का जिलों के 200 से अधिक गांव डूब गए हैं। वहां एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सेना बचाव कार्य में जुटी है। बॉर्डर के उस पार पाकिस्तान के लाहौर, कसूर, ओकाड़ा, पाकपट्टन, बहावल नगर और बहावलपुर जिलों में इन नदियों का पानी जनजीवन को प्रभावित कर रहा है।
खेतों में लहलहा रही फसलों को बाढ़ में डूबने से बचाने के लिए किसान रात-दिन बंधों की रखवाली करने में और उन्हें मजबूत करने में जुटे हैं। इसके बाद भी पानी के दबाव से कोई बंधा टूटता है तो प्रभावित किसान होश हवास खो बैठते हैं। सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो वायरल हो रहे हैं।
इधर कोई किसान फसल की बर्बादी पर आंसू बहाता हुआ वाहे गुरु को याद करता दिखता है तो उधर, कोई पशु पालक अपने पशुओं को नदी की तेज धार में बहते देख आसमान की ओर हाथ उठाकर अल्लाह से बचाव की गुहार लगाता। नदी की धार में बहते पशुओं के शव देखकर तो किसी का भी दिल पसीज जाए।
पंजाब के फाजिल्का जिले के बॉर्डर से सटे गांव खानपुर के भजनलाल ईशराम बताते हैं कि 1988 में सतलुज के पानी ने जैसा तांडव मचाया था, वैसा ही अब देखने को मिल रहा है। बॉर्डर से सटे एक दर्जन से अधिक गांवों में बाढ़ के पानी ने भारी तबाही मचाई है। हजाराें एकड फसलों पर बाढ़ का पानी फिर गया है।
बारेकां, सादकी सहित कई गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। पाकिस्तान जा रहा सतलुज और रावी नदी का पानी पाकिस्तान से घूमकर वापस भारत की तरफ आया तो बाढ़ का फैलाव फाजिल्का तक हो जाएगा। फाजिल्का उपायुक्त अमरप्रीत कौर संधू के अनुसार जिले के बीस गांव बाढ़ की चपेट में है। सतलुज का जलस्तर कम नहीं हुआ तो और भी गांव बाढ़ की चपेट में आ सकते हैं।
Updated on:
29 Aug 2025 05:36 pm
Published on:
29 Aug 2025 04:37 pm
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