CG News: राज्य सरकार की किसान हितैषी योजनाओं का लाभ अब जमीनी स्तर पर दिखने लगा है। धान खरीदी की बेहतर व्यवस्था और 3100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से मिल रहे लाभकारी मूल्य ने किसानों के जीवन में नई खुशियाँ भर दी हैं।
CG News: छत्तीसगढ़ में जहां बहुत से लोग कृषि पर निर्भर करते हैं। वहां के किसान अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाने के लिए अपने जीवन में कई कुर्बानियाँ देते हैं। ये कुर्बानियाँ सिर्फ पैसे के स्तर पर नहीं होतीं, बल्कि यह एक जीवनशैली का बदलाव भी होती है। ये किसान अपने जीवन को कठिन बना लेते हैं, लेकिन वे जानते हैं कि उनके बच्चों का बेहतर भविष्य केवल शिक्षा में ही है।
राज्य सरकार की किसान हितैषी योजनाओं का लाभ अब जमीनी स्तर पर दिखने लगा है। धान खरीदी की बेहतर व्यवस्था और 3100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से मिल रहे लाभकारी मूल्य ने किसानों के जीवन में नई खुशियाँ भर दी हैं। इसी कड़ी में ग्राम फेकारी निवासी किसान सोमेश्वर साहू की कहानी सुशासन और समृद्धि की एक नई मिसाल पेश कर रही है। सोमेश्वर साहू, जो कि ग्राम फेकारी के रहने वाले हैं, जो अपनी 6 एकड़ की खेती से पूरे परिवार का भरण-पोषण करते हैं।
उन्होंने धान उपार्जन केंद्र में अपनी फसल बेची, जिससे उन्हें कुल 2 लाख 80 हजार रुपये की राशि प्राप्त हुई। इसमें से 1 लाख रुपये का पुराना कर्ज चुकाने के बाद भी उनके पास 1 लाख 80 हजार रुपये की बड़ी राशि शेष बची है। सोमेश्वर के चेहरे की मुस्कान यह बताने के लिए काफी है कि अब उन्हें अपनी आर्थिक जरूरतों के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा।
किसान सोमेश्वर साहू ने उत्साह के साथ बताया कि, ’’खेती की इस कमाई से अब मैं अपने बेटे को बी.टेक (इंजीनियरिंग) की पढ़ाई करा पा रहा हूँ। पहले पढ़ाई के खर्च की चिंता रहती थी, लेकिन अब धान की अच्छी कीमत मिलने से हम अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाने में सक्षम हो गए हैं।’’ उन्होंने आगे कहा कि वह चाहते हैं कि उनका बेटा पढ़-लिखकर आत्मनिर्भर बने और इस सपने को पूरा करने में खेती से हुई यह आय सबसे बड़ा सहारा बनी है।
किसान साहू ने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि 3100 रुपये में धान खरीदी की सरकार की पहल से हम किसानों की आर्थिक स्थिति काफी मजबूत हुई है। अब खेती केवल जीवनयापन का साधन नहीं, बल्कि परिवार के भविष्य को उज्जवल बनाने का जरिया बन गई है। शासन की इस व्यवस्था से दुर्ग जिले के किसान न केवल संतुष्ट हैं, बल्कि अपने बच्चों के बेहतर भविष्य को लेकर भी आशान्वित हैं।
पारंपरिक खेती और कृषि में लगे रहने के बावजूद, आज के किसान अपनी संतान के लिए एक आधुनिक शिक्षा का सपना देखते हैं। वे यह समझते हैं कि खेती से होने वाली आय से बच्चों को बेहतर शिक्षा दी जा सकती है, और इससे उनका भविष्य सुधर सकता है।
हालांकि, इस तरह का निर्णय अत्यधिक आर्थिक दबाव और संघर्ष से भरा होता है। खेती से आय सीमित होती है, और अगर कोई बड़ा खर्च जैसे कि शिक्षा का हो, तो किसान को अपने सीमित संसाधनों में से किसी एक विकल्प को चुनना पड़ता है। फिर भी, अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए यह फैसला अक्सर लिया जाता है।
ऐसे कई उदाहरण हैं जहां किसान ने अपनी भूमि बेचकर या कर्ज लेकर बच्चों को इंजीनियरिंग, मेडिकल, या अन्य उच्च शिक्षा दिलवाई। यह उदाहरण अन्य लोगों को भी प्रेरित करते हैं कि अगर ठान लिया जाए तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती।
आजकल ग्रामीण क्षेत्रों में भी शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ रही है, और किसान यह समझने लगे हैं कि खेती के साथ-साथ शिक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। इसलिए, कई किसान अपने बच्चों को अच्छे स्कूलों और विश्वविद्यालयों में भेजने के लिए अपनी फसल बेचने तक का निर्णय लेते हैं।