Patrika Special News

क्यों रद्द हो जाती है राजनीतिक दलों की मान्यता? छिन जाते हैं ये अधिकार

यदि किसी राजनीतिक दल की चुनाव आयोग ने मान्यता रद्द कर दी है तो वह 30 दिन के भीतर अपील कर सकता है।

3 min read
Aug 10, 2025
EC ने 334 पार्टियों की मान्यता की रद्द (Photo-IANS)

ECI Cancelled 334 Parties Registration: चुनाव आयोग ने शनिवार को 334 गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द कर दी। चुनाव आयोग के इस फैसले के बाद वर्तमान में सिर्फ 6 राष्ट्रीय दल और 67 क्षेत्रीय पार्टियां हैं, जबकि 2,520 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल बचे हैं। चुनाव आयोग ने यह कार्रवाई जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा- 29A के तहत की है। ईसी की इस कार्रवाई का उद्देश्य चुनावी प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाना था।

ये भी पढ़ें

बिहार में इस बार बने नए समीकरण, जानें किन पार्टियों के आने से लड़ाई हुई दिलचस्प

कब रद्द होती है मान्यता

भारत निर्वाचन आयोग के मुताबिक अगर कोई राजनीतिक दल 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ता है तो उसकी मान्यता रद्द की जा सकती है। ईसी द्वारा राजनीतिक पार्टियों की मान्यता रद्द करने के बाद ये किसी भी तरह के लाभ लेने की स्थिति में नहीं होते हैं। वहीं मान्यता रद्द होने पर पार्टियों से कई अधिकार भी छिन लिए जाते हैं। 

मान्यता खत्म होने पर छिनने वाले अधिकार

जब किसी राजनीतिक दल की मान्यता रद्द हो जाती है, तो उसे कई महत्वपूर्ण अधिकारों और सुविधाओं से वंचित होना पड़ता है, जो जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 और अन्य संबंधित कानूनों के तहत प्रदान किए जाते हैं। इनमें शामिल हैं:

1- रिजर्व चुनाव चिह्न का अधिकार

भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा प्रत्येक मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियों को एक रिजर्व चुनाव चिन्ह दिया जाता है। यह चुनाव चिन्ह लोगों के बीच पार्टी की पहचान होता है। जब किसी दल की मान्यता रद्द की जाती है तो उसके बाद ये रिजर्व चुनाव चिन्ह का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। उदारहण के लिए- कांग्रेस का रिजर्व चुनाव चिन्ह ‘हाथ’ है।

2- मुफ्त चुनाव सामग्री का लाभ

चुनाव आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त दलों को मुफ्त चुनाव सामग्री जैसे मतदाता सूची और चुनावी घोषणा पत्र, प्रदान की जाती है। यह सामग्री चुनाव प्रचार और रणनीति बनाने में महत्वपूर्ण होती है। मान्यता रद्द होने पर ये सुविधाएं बंद हो जाती हैं, जिससे दल को अपनी जेब से यह सामग्री खरीदनी पड़ती है, जो छोटे दलों के लिए आर्थिक बोझ बन सकता है।

3- राष्ट्रीय और राज्य स्तर के अधिकार

मान्यता प्राप्त दलों को राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर कई विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं, जैसे कि चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने की प्राथमिकता और संगठनात्मक गतिविधियों के लिए समर्थन। मान्यता रद्द होने पर ये सभी अधिकार समाप्त हो जाते हैं, जिससे दल की राजनीतिक गतिविधियां सीमित हो जाती हैं।

4- सार्वजनिक फंडिंग पर रोक

मान्यता प्राप्त दलों को सार्वजनिक फंडिंग प्राप्त करने का अधिकार होता है, जिसका उपयोग वे अपने संगठन को चलाने और चुनाव प्रचार के लिए करते हैं। मान्यता रद्द होने पर यह सुविधा समाप्त हो जाती है, जिससे दल की आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

5- चुनाव प्रचार के लिए समय और स्थान

मान्यता प्राप्त दलों को चुनाव आयोग द्वारा प्रचार के लिए समय और स्थान आवंटित करता है। मान्यता रद्द होने पर ये सुविधाएं प्राप्त करने में देरी या कठिनाई होती है, क्योंकि डीलिस्टेड दलों को इनके लिए विशेष अनुमति लेनी पड़ती है, जिसमें समय और संसाधनों की बर्बादी होती है।

चुनाव लड़ने में आने वाली चुनौतियां

मान्यता रद्द होने के बाद राजनीतिक दलों को चुनाव लड़ने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ये चुनौतियां न केवल उनकी चुनावी संभावनाओं को प्रभावित करती हैं, बल्कि उनकी संगठनात्मक क्षमता को भी कमजोर करती हैं। 

1- पहचान का संकट

दरअसल, रिजर्व चुनाव चिह्न के बिना किसी भी दल को मतदाताओं के बीच अपनी पहचान स्थापित करने में कठिनाई होती है। नया चिह्न आवंटित होने पर मतदाताओं को इसे समझाने में समय और संसाधन लगते हैं।

2- आर्थिक बोझ

मुफ्त चुनाव सामग्री और पब्लिक फंडिंग के अभाव में छोटे और क्षेत्रीय दलों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है। 

3- प्रचार में बाधा

प्रचार के लिए समय और स्थान की कमी के कारण डीलिस्टेड दल प्रभावी ढंग से अपनी बात मतदाताओं तक नहीं पहुंचा पाते। 

मान्यता रद्द होने पर क्या कर सकते है राजनीतिक दल

बता दें कि यदि किसी राजनीतिक दल की चुनाव आयोग ने मान्यता रद्द कर दी है तो वह 30 दिन के भीतर अपील कर सकता है।

ये भी पढ़ें

दो Voter ID होने पर कितने साल की हो सकती है सजा, जानें घर बैठे कैंसिल करने की प्रक्रिया

Updated on:
10 Aug 2025 08:02 pm
Published on:
10 Aug 2025 08:01 pm
Also Read
View All

अगली खबर