-एनडीए में सीटों का हुआ बंटवारा, दोनों प्रमुख दल 101-101 सीटों पर लड़ेंगे -हमेशा विधानसभा चुनाव में जदयू बड़े भाई की भूमिका में ज्यादा सीटों पर लड़ती थी, लेकिन पिछले नतीजे के बाद बदले समीकरणों का बंटवारे में असर
नवनीत मिश्र
नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव के लिए एनडीए में भाजपा और जदयू में कोई बड़ा-छोटा भाई नहीं रहा, अब दोनों भाई-भाई हो गए हैं। दोनों दलों के बीच बराबर-बराबर सीटों पर लड़ने का समझौता हुआ है। पिछले चुनाव में भाजपा की 110 की तुलना में 115 सीटों पर लड़ने वाली जदयू नतीजों में जिस तरह से सिर्फ 43 सीटों पर सिमट गई थी, उसके बाद से बदले समीकरणों का असर वर्तमान सीट समझौते पर पड़ा है। पिछली बार 74 सीट जीतकर गठबंधन में बड़ा भाई की भूमिका में आई भाजपा ने अपनी हैसियत इस बार सीट बंटवारे में घटने नहीं दी। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और बिहार के प्रभारी विनोद तावड़े ने रविवार को एनडीए के पांच सहयोगी दलों के बीच सीटों के बंटवारे की घोषणा की। सीट बंटवारे से पहले जदयू नेताओं का तर्क था कि 2024 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए भाजपा ज्यादा सीटों पर लड़ी थी, इसी फॉर्मूले के तहत विधानसभा चुनाव में नीतीश को मुख्यमंत्री बनाने के लिए जदयू को ज्यादा सीटें मिलनी चाहिए। हालांकि, समझौता बराबरी पर होने के राजनीतिक मायने तलाशे जा रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री और लोजपा (रामविलास) मुखिया चिराग पासवान ने 35 सीटों की सूची भाजपा को सौंपी थी, लेकिन बात नहीं बनी तो उन्होंने कहा था कि उनके पास पांच सांसद हैं, ऐसे में एक संसदीय क्षेत्र में 6 सीटों की दर से कम से कम उन्हें 30 तो मिलनी ही चाहिए। आखिरकार भाजपा और जदूय दोनों को उन्हें 29 सीट देने पर सहमत होना पड़ा। दलित वोटों में लोजपा की पकड़ के कारण भाजपा किसी भी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहती थी।
2020 के विधानसभा चुनाव में सात सीटों पर लड़ने वाले जीतनराम मांझी को इस बार एनडीए में छह सीटों पर ही संतोष करना पड़ा है। एनडीए के नए सहयोगी उपेंद्र कुशवाहा को भी छह सीटें मिलीं हैं।
| भाजपा | 101 सीट |
| जदयू | 101 सीट |
| लोजपा (रामविलास) | 29 सीट |
| रालोमो | 06 सीट |
| हम | 06 सीट |