Mahakumbh 2025: महाकुंभ के दौरान अखाड़ों में कोतवालों की भूमिका बेहद खास होती है। ये कोतवाल अखाड़े में अनुशासन बनाए रखने का जिम्मा संभालते हैं।अनुशासन तोड़ने पर इन्हें सजा देने का भी अधिकार होता है.
Mahakumbh 2025: महाकुंभ नगर सभी दशनामी शैव अखाड़ों की अपनी अलग कोतवाली है। इनमें बाकायदा कोतवाल तैनात रहते हैं। इनके जिम्मे छावनी की आंतरिक सुरक्षा होती है। अखाड़े के नागा समेत अन्य साधुओं को नियंत्रित करने का काम यही कोतवाल करते हैं। अखाड़ों के अपने कानून भी हैं नियम तोड़ने वाले को सजा दी जाती है। कई अजब-गजब सजाएं भी हैं। हालांकि, गंभीर अपराध पर अखाड़े से निष्कासन तक का विधान है।
अखाड़ों में अपना आंतरिक विवाद कोर्ट कचहरी लेकर जाने का रिवाज नहीं है। विवाद मिल बैठकर सुलझाए जाते हैं। धर्मध्वजा के नीचे ईष्ट देव की कुटिया स्थापित होने के साथ ही छावनी में भी कोतवाली बन जाती है। छावनी की सुरक्षा के लिए अलग-अलग कोतवालों की तैनाती होती है। एक अखाड़े के महंत के मुताबिक नागा संन्यासी ही कोतवाल बन सकते हैं।
खास तौर से उनको चांदी से मढ़ा दंड दिया जाता है। इसके पास रहते कोतवाल किसी को दंड दे सकते हैं। छावनी में गड़बड़ी करने वाले इनके पास लाए जाते हैं। मामूली गलती पर छोटा दंड दिया जाता है अगर आरोप गंभीर हैं तब उसकी पेशी चेहरा-मोहरा में होती है। यहां उसे अपनी सफाई पेश करनी पड़ती है। पंच ही उसके बारे में फैसला करते हैं।
अगर किसी पर विवाह करने, दुष्कर्म करने, आर्थिक अपराध जैसे आरोपों की पुष्टि होती है तब उसे अखाड़े से बाहर निकाल दिया जाता है। अखाड़े का अनुशासन तोड़ने पर इस तरह की दी जाती है, जिससे उसे अपनी भूल का अहसास हो सके। अधिकांश सजा आर्थिक न होकर धार्मिक होती है। समय-समय पर कोतवालों को भी बदला जाता है।