प्रयागराज

‘शहर का ट्रैफिक मैनेजमेंट फेल’, जगह–जगह बैरीकेडिंग लगाने पर नाराज हुआ इलाहाबाद हाई कोर्ट

Mahakumbh 2025: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शहर की यातायात व्यवस्था पर अपनी गहरी नाराजगी व्यक्त की है। खासतौर पर हिन्दू हॉस्टल चौराहे पर बैरिकेडिंग लगाने और वकीलों को न्यायालय आने से रोकने की घटना को लेकर कोर्ट ने सवाल उठाए।

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Mahakumbh 2025: न्यायालय ने पुलिस की ओर से वकीलों के साथ की गई मारपीट पर भी कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की। इस मामले पर हाईकोर्ट बार की ओर से दायर की गई आपराधिक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि ट्रैफिक मैनजमेंट पूरी तरह से विफल हो गया है। साथ ही जगह-जगह पर लगाए गए बैरिकेडिंग को लेकर भी चिंता व्यक्त की गई। कोर्ट ने मंडलायुक्त, पुलिस कमिश्नर, डीएम प्रयागराज, मेलाधिकारी और डीसीपी ट्रैफिक को हलफनामे के माध्यम से जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

मारपीट की घटना की हो निष्पक्ष जांच

अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने अदालत से कहा कि सरकार को वकीलों के साथ हुई मारपीट की घटना की निष्पक्ष जांच करवानी चाहिए और यह जांच डीसीपी स्तर के अधिकारी से करवाई जानी चाहिए। साथ ही यह भी पूछा गया कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए प्रशासन क्या कदम उठाएगा। कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई पर विभागीय जांच की स्थिति जानने के लिए निर्देश दिए हैं। अगली सुनवाई 14 फरवरी को निर्धारित की गई है।

आरोपियों की नहीं हुई गिरफ्तारी 

सुनवाई की शुरुआत में हाईकोर्ट बार के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने घटना का अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि घटना के दौरान वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी मौके पर मौजूद थे, लेकिन कार्रवाई सिर्फ दो दारोगाओं के खिलाफ की गई, जिनकी अब तक गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस अधिकारियों ने 2005 में हाईकोर्ट के दिए गए आदेशों का पालन नहीं किया। इसके साथ ही अनिल तिवारी ने बताया कि वकीलों के साथ मारपीट की कई घटनाएं हो चुकी हैं, और वह इन घटनाओं का विवरण प्रमाण सहित हलफनामे में देने की तैयारी कर रहे हैं।

14 फरवरी को होगी अगली सुनवाई

अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल और शासकीय अधिवक्ता एके संड ने अदालत से समय मांगा ताकि वे इस मामले पर अपना जवाब दाखिल कर सकें। कोर्ट ने उन्हें सप्ताह भर का समय देते हुए 14 फरवरी को अगली सुनवाई की तारीख तय की। हाईकोर्ट बार के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने इस मामले को लेकर मुख्य न्यायाधीश के समक्ष लिखित कार्यवाही करने का अनुरोध किया था, जिस पर मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली ने आपराधिक जनहित याचिका दर्ज कर सुनवाई का आदेश दिया।

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