MahaKumbh 2025: महाकुंभ में कई प्रकार के टेंट, तम्बू और शिविर आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। इसी में सेक्टर 9 के दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान (डीजेजेएस) ने अपनी एक अलग जगह बनाई है। ये शिविर लोगों के बीच चर्चा का केंद्र बना हुआ है।
MahaKumbh 2025: महाकुंभ के लिए प्रयागराज में 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के एकत्रित होने की संभावना है। इतनी वृहद्-स्तरीय संरचना से पर्यावरण पर बुरा प्रभाव और वेस्ट डिस्पोज़ल (कचरा निपटान) जैसे पर्यावरण सम्बन्धी मुद्दों का प्रबंधन करना आवश्यक हो जाता है।
ऐसे में इन चुनौतियों के समाधान हेतु दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान (डीजेजेएस) ने सेक्टर-9 में महाकुंभ में स्थापित अपने शिविर को पर्यावरण-अनुकूल (ईको-फ्रेंडली) बनाया हैं। डीजेजेएस के पर्यावरण ‘संरक्षण’ कार्यक्रम की इंचार्ज, साध्वी अदिति भारती जी ने कहा कि महाकुंभ 2025 के लिए संस्थान ने सिंगल-यूज़ प्लास्टिक और पीवीसी वॉलपेपर के स्थान पर बांस, जूट, मिट्टी एवं कार्पेट फ्लेक्स जैसी पर्यावरण-अनुकूल सामग्रियों का उपयोग किया हैं।
संस्थान ने अपने 9 एकड़ के शिविर में सभी प्रकार की संरचनाओं और सजावट के लिए केवल बायोडिग्रेडेबल विकल्पों को ही शामिल किया है। 60 ग्रीन कॉटेज एवं पर्यावरण-अनुकूल सजावट भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय आगंतुकों के आवास के लिए 60 से अधिक पर्यावरण-अनुकूल कॉटेज बांस, होगला घास (लंबी घास), जूट और 35000 वर्ग फुट से अधिक पुन: प्रयोज्य कपड़े जैसी टिकाऊ सामग्रियों का उपयोग करके बनाए गए हैं।
200 से अधिक पीवीसी फ्लेक्स बैनरों के स्थान पर हाथ से पेंट किए गए कैनवस, कार्पेट फ्लेक्स का उपयोग किया गया हैं जिससे 1000 किलो प्लास्टिक कचरे को उत्पन्न होने से रोका गया है। इसके अतिरिक्त, फ़ाइबर ग्लास की मूर्तियों के स्थान पर भी पारंपरिक मिट्टी-आधारित कलाकृतियों एवं 25 फीट ऊंची महादेव की मूर्ति को भी शिविर में स्थान दिया गया है। नाटक, रैलियां और जागरूकता कार्यक्रम संस्थान के अध्यक्ष, स्वामी आदित्यानंद जी ने बताया कि आगंतुकों को पर्यावरण के प्रति उनकी जिम्मेदारी को समझाने और इस दिशा में उनके प्रयासों को बढ़ावा देने हेतु संस्थान द्वारा विभिन्न जागरूकता रैलियां और स्वच्छता अभियान आयोजित किए जाएंगे।
इसी के अंतर्गत 22 जनवरी को एक सांस्कृतिक कार्यक्रम ‘ॐ द्यौः शांति' आयोजित होगा जिसमें डीजेजेएस के युवा कार्यकर्ताओं द्वारा नृत्य-नाटिका प्रस्तुत की जाएगी। साथ ही पृथ्वी के हरित भविष्य को आकार देने हेतु भारत के ऐतिहासिक पर्यावरण-संरक्षण संबधी कार्य-व्यवहार और प्राचीन ज्ञान पर भी प्रकाश डालने वाले चलचित्र (वीडियो) और केस-स्टडी इत्यादि जैसे प्रेरणादायक प्रयास भी शामिल किए जाएंगे।