उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग पर परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में नई शिक्षक भर्ती की मांग को लेकर चल रहे बेमियादी धरने पर हैं। जिसके आठवें दिन डीएलएड प्रशिक्षित और टीईटी/सीटीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों ने विरोध जताने के लिए अनोखा तरीका अपनाया।
Prayagraj: अभ्यर्थियों ने कान पकड़कर खुद की गलती स्वीकार करते हुए कहा कि मास्टर बनने के लिए डीएलएड करना अब उन्हें भारी पड़ रहा है। उनका दावा है कि प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में 1,81,276 सहायक अध्यापक पद खाली हैं, जिन्हें भरा जाना जरूरी है।
इस बीच, धरने के भीतर चंदा जुटाने को लेकर विवाद भी खड़ा हो गया। एक अभ्यर्थी ने सोशल मीडिया पर आरोप लगाया कि धरने से लौटने के बाद छात्रों और कोचिंग संस्थानों से अनधिकृत रूप से चंदा मांगा जा रहा है, जबकि भोजन और पानी जैसी आवश्यकताएं नि:शुल्क कोचिंग संस्थानों द्वारा उपलब्ध कराई जा रही हैं। उसने स्पष्ट रूप से मांग की कि चंदे का हिसाब सार्वजनिक किया जाए।
राजनीतिक स्तर पर भी यह मुद्दा तूल पकड़ रहा है। आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह और देश के सबसे युवा लोकसभा सांसद पुष्पेन्द्र सरोज ने इस मामले को संसद में उठाने का आश्वासन दिया है। अभ्यर्थियों का कहना है कि आयोग ने 6 जून तक का समय मांगा था, लेकिन अगर तब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया, तो वे फिर से उसी दिन महाधरना देने को मजबूर होंगे।