कारोबारियों (Businessmen) ने अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) पर रायपुर समेत प्रदेशभर ( Raipur and across the state) में 2500 करोड़ रुपए का कारोबार (business of Rs 2500 crore ) होने की उम्मीद जताई है। ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रानिक, कपडा़ और अन्य कारोबार (Automobile, electronic, clothing and other businesses ) भी करोड़ों में होता है।
रायपुर सराफा एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश भंसाली ने बताया कि हर साल अक्षय तृतीया के अवसर पर रायपुर जिले में सराफा का कारोबार करीब 200 करोड़ रुपए और प्रदेश में 700-800 करोड़ रुपए का होता है। राडा के प्रदेश अध्यक्ष विवेक गर्ग ने बताया कि अक्षय तृतीया के लिए वाहनों की लगातार बुकिंग चल रही है। ज्योतिष शास्त्र में अक्षय तृतीया और लोक परंपरा में अक्ती तिथि ऐसी सर्वसिद्धि तिथि मानी जाती है, जिसमें किसी भी मुहूर्त को दिखने की आवश्यकता नहीं है।
अबूझ मुहूर्त होने से इस तिथि पर सबसे अधिक मांगलिक कार्यक्रम होते हैं। संयोग से इस बार यह तिथि दो दिन पड़ रही है। इसलिए बाजारों में जमकर खरीदारी करने वालों की भीड़ बढ़ी है। कपड़ा और बर्तन दुकानों में ज्यादा रौनक है। अगले दो महीने तक लगातार शुभमुहूर्त होने से बाजारों में जमकर खरीदी का माहौल रहेगा।
पंडितों के अनुसार, अक्षय तृतीया पर इस बार सर्वार्थ सिद्ध योग दिनभर है और रवियोग भी है। इसलिए इस दिन जातकर्म, नामकरण, अन्नप्राशन, उपनयन संस्कार, विवाह मुहूर्त व वधु प्रवेश, गृहप्रवेश जैसे कार्यक्रम सबसे अधिक होंगे। वहीं, इसी तिथि पर ब्राह्मण समाज के ईष्ट देवता भगवान परशुराम का जयंती समारोह धूमधाम से मनेगा। बाजे-गाजे से शोभायात्रा निकालकर विप्र समाज उत्सव मनाएगा।
शंकराचार्य आश्रम के स्वामी इंदुभवानंद तीर्थ के अनुसार, 29 अप्रैल मंगलवार को द्वितीया तिथि 8.36 बजे समाप्त होकर तृतीया तिथि प्रारंभ होगी, जो कि बुधवार को सुबह 5.58 बजे तक है। चूंकि भगवान परशुराम का जन्म माता रेणुका के गर्भ से तृतीया तिथि पर प्रथम पहर की रात में हुआ था। इसलिए भगवान का प्राकट्य उत्सव मंगलवार को मनाना श्रेष्ठ है। वहीं, महामाया मंदिर के पंडित मनोज शुक्ला उदयातिथि को मान्यता देते हुए अक्षय तृतीया 30 अप्रैल बुधवार को है। उन्होंने बताया कि दोनों दिन 29 और 30 अप्रैल को श्रेष्ठ मुहूर्त है।
शादी-विवाह का सीजन पीक पर है। पंडित मनोज शुक्ला के अनुसार, खरमास की वजह से शुभ मुहूर्त 14 अप्रैल से प्रारंभ हुआ। इसके साथ ही मांगलिक कार्यक्रम लगातार हो रहे हैं। अब हर दूसरे दिन मुहूर्त हैं। इस समय गांवों में सबसे अधिक शादी, उपनयन संस्कार, मुंडन संस्कार हो रहे हैं।