Bhimsen Ekadashi 2024: पौराणिक कथा है कि महाभारत काल में इसी एकादशी का भीम ने निर्जला व्रत रखा था। वह परंपरा आज भी जीवंत है। जिसे भीमसेन एकादशी के नाम से जाना जाता है।
Bhimsen Ekadashi 2024: जेष्ठ मास की शुक्लपक्ष की एकादशी का निर्जला व्रत रखने से विशेष फलदायी माना गया है। इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। पौराणिक कथा है कि महाभारत काल में इसी एकादशी का भीम ने निर्जला व्रत रखा था। वह परंपरा आज भी जीवंत है। जिसे भीमसेन एकादशी के नाम से जाना जाता है।
पंडितों के अनुसार भीमसेनी एकादशी सोमवार को पड़ रही है। जो सच्ची श्रद्धा भाव से निर्जला व्रत करते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। उनके घर में सुख समृद्धि आती है। पंडित चंद्रभूषण शुक्ल के अनुसार इसका धार्मिक महत्व सबसे ज्यादा है। साल की 24 एकादशी में सर्वश्रेष्ठ मानी गई है।
मान्यता यह है कि मनोकामना पूर्ति के लिए एकादशी व्रत विशेष फलदायी है। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और मनवांछित मन्नतें पूर्ण होती हैं। इस व्रत को महाभारत काल (Bhimsen Ekadashi 2024) में पांडवों के भाई भीम ने किया था, जिससे उन्हें सभी व्रत का पुण्य मिला, इसलिए इस व्रत को भीमसेनी एकादशी कहा जाता है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार भीमसेनी एकादशी पर व्रत, पूजा, दान का विशेष फल मिलता है। समस्त पापों का शमन करने की शक्ति प्राप्त होती है। इस दिन मन, कर्म और वचन द्वारा किसी भी प्रकार का पाप नहीं करना चाहिए। परनिंदा एवं दूसरों का अपमान करने से भी दूर रहना चाहिए। भक्तिपूर्वक इस व्रत को करने से व्रती को करोड़ों गायों का दान करने के समान फल प्राप्त होता है।
पंडित चंद्रभूषण शुक्ल के अनुसार निर्जला एकादशी के दिन देर तक न सोएं और सुबह सूर्योदय से पूर्व स्नान करें और पूजा पाठ करके अपनी दिनचर्या आरंभ करें। निर्जला एकादशी के दिन पीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ होता है। जो लोग व्रत नहीं करते हैं उन्हें भी इस दिन पीले वस्त्र पहनना चाहिए। निर्जला एकादशी के दिन बाल कटवाना, शेविंग और नाखून काटना वर्जित माना गया है।