CG News: इंडियन फॉर्मासिस्ट एसोसिएशन छत्तीसगढ़ ब्रांच को यह नहीं भाया और ड्रग कंट्रोलर दीपक अग्रवाल को ज्ञापन सौंपकर छूट पर रोक लगाने की मांग कर दी। दावा किया गया है कि उनकी मांग पर यह आदेश जारी किया गया है।
CG News: दवाओं की कीमत पर छूट से आम मरीजों व जनता को बड़ी राहत मिल रही है। इधर, फूड एंड ड्रग विभाग ने दवाओं में छूट संबंधी प्रचार, विज्ञापन करने पर मेडिकल स्टोर संचालकों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी है। 5 अगस्त को जारी आदेश में लाइसेंस निलंबित या रद्द करने तथा एक्ट के अनुसार कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
राजधानी में जेनेरिक दवाओं पर 60 से 72 फीसदी व ब्रांडेड दवाओं पर 10 से 15 फीसदी की छूट दी जा रही है। इसमें किसी को आपत्ति भी नहीं थी, लेकिन इंडियन फॉर्मासिस्ट एसोसिएशन छत्तीसगढ़ ब्रांच को यह नहीं भाया और ड्रग कंट्रोलर दीपक अग्रवाल को ज्ञापन सौंपकर छूट पर रोक लगाने की मांग कर दी। दावा किया गया है कि उनकी मांग पर यह आदेश जारी किया गया है। दरअसल, विभाग के आदेश पर सवाल उठ रहे हैं। दवा के जानकारों का कहना है कि अगर आम जनता प्रिंट मूल्य पर दवा खरीदेगी तो पूरी तरह लूट जाएगी।
दरअसल, फार्मास्यूटिकल कंपनियां व मेडिकल स्टोर संचालक दवाइयों पर भारी मुनाफा कमा रहे हैं। लागत से 10 से 50 गुना बढ़ाकर एमआरपी प्रिंट किया जाता है। अब तक मुनाफा बढ़ाने के लिए मनमाफिक कीमत प्रिंट करवाने का गोरखधंधा भी सामने आया है। ऐसे में आम जनता को दवा की कीमत में छूट न मिले तो क्या होगा, अंदाजा लगाया जा सकता है।
मध्यप्रदेश में फार्मेसी काउंसिल के दवाओं में छूट बंद करने का अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत ने विरोध किया है। उन्होंने नए नियम को उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन करार दिया है। उसके अनुसार उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अनुसार छूट और रियायत देने के लिए प्रतिस्पर्धा उपभोक्ताओं के हित में और उसका अधिकार भी है। फार्मेसी काउंसिल के नए नियम से उपभोक्ताओं को सस्ते में दवाइयां मिलने का विकल्प समाप्त हो जाएगा। उन्हें दवाओं के लिए अधिक कीमतें चुकानी पड़ेंगी।
आभा ग्राहक पंचायत के अध्यक्ष सुरेन्द्र रघुवंशी ने कहा कि काउंसिल के नए नियम से दुकानदार के साथ ही ग्राहकों की भी क्षति होगी। प्रतिस्पर्धा से लोगों को सस्ती में दवाएं मिल सकती हैं।
रेडक्रास व धनवंतरी मेडिकल स्टोर में जेनेरिक दवाओं पर 60 से 72 फीसदी छूट पर दवा बेची जा रही है। इसके बाद भी मेडिकल स्टोर संचालक मुनाफा कमा रहे हैं। धनवंतरी मेडिकल स्टोर खोलने की योजना पिछली सरकार की थी। आम जनता को राहत देने के लिए सस्ती दर पर दवा बेची जा रही है। बड़ा सवाल है कि तो क्या राज्य सरकार को ड्रग एक्ट की जानकारी नहीं थी? प्रदेशभर में रेडक्रास व धनवंतरी मेडिकल स्टोर चल रहे हैं। जहां नामी फार्मास्यूटिकल कंपनियों की दवा सस्ती दर पर मिल रही है।
दवाओं में छूट फॉर्मेसी प्रैक्टिस रेगुलेशन 2015 के नियम 12.1 और 12.2 का उल्लंघन है। साथ ही ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 के नियम 1945 और ड्रग एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट 1954 का भी उल्लंघन है। फार्मेसी एक्ट 1948 में पंजीकृत फार्मासिस्ट मरीज को किसी प्रकार का प्रलोभन नहीं देगा। इंडियन फार्मासिस्ट एसोसिएशन का कहना है कि आम लोग मेडिकल स्टोर को आम व्यवसाय समझ लेते हैं, जबकि मेडिकल स्टोर या कोई फार्मेसी संस्थान एक प्रोफेशनल व्यवसाय के अंतर्गत आता है। एसोसिएशन का दावा है कि उनकी मांग पर विभाग ने यह कदम उठाया है।
यदि बिल में फार्मासिस्ट का सील व हस्ताक्षर नहीं है, तो बीमा कंपनियां मेडिकल क्लेम रिजेक्ट कर देती है। दरअसल, ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 के रूल 1945 के सेक्शन 65 के अनुसार दवाओं का क्रय विक्रय और भंडारण पंजीकृत फार्मासिस्ट की उपस्थिति में या उसके द्वारा किया जाना है। यदि ग़ैर फार्मासिस्ट से दवा का डिस्पेंस किया जाता है, तब तीन माह कारावास और 2 लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान है। इंडियन फार्मासिस्ट एसोसिएशन का मानना है दवाओं में छूट की बजाए सरकारी अस्पतालों में सभी प्रकार की दवाएं मुत प्रदान की जानी चाहिए।