CG Cabinet decision: पूर्ववर्ती सरकार में एफएल 10 ए और बी लाइसेंस निजी हाथों में दिया गया था। बुधवार को कैबिनेट बैठक में पूर्ववर्ती सरकार के इस फैसले को समाप्त कर दिया गया
CG Cabinet Decisions: राज्य सरकार अब सीधे निर्माता कंपनी से विदेशी शराब ख़रीदेगी और ब्रेवरेज कारपोरेशन उसका भंडारण करेगा। पूर्ववर्ती सरकार में एफएल 10 ए और बी लाइसेंस निजी हाथों में दिया गया था। बुधवार को कैबिनेट बैठक में पूर्ववर्ती सरकार के इस फैसले को समाप्त कर दिया गया। सरकार के इस फ़ैसले के बाद अब शराब बिक्री से राज्य का राजस्व बढ़ेगा।
CG Cabinet Decisions: साथ ही भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी पर लगाम लगाया जा सकेगा। बता दें कि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के चलते साय सरकार की कैबिनेट बैठक पांच माह से नहीं हुई थी। ( CG Cabinet Meeting) बुधवार को मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में करीब तीन घंटे तक चली बैठक में पांच एजेंडों पर चर्चा कर कैबिनेट ने मुहर लगाई गई जिसमें प्रमुख रूप से बस्तर, सरगुजा, मध्य क्षेत्र आदिवासी विकास, अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण तथा छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण एवं अन्य पिछड़ा वर्ग विकास प्राधिकरणों के पुनर्गठन का निर्णय और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत चना वितरण के लिए निर्गम मूल्य पर चना क्रय करने का निर्णय शामिल हैं। इसके अलावा कैबिनेट में उच्च शिक्षा विभाग में अतिथि व्याख्याता नीति-2024 का अनुमोदन किया गया।
Chhattisgarh Cabinet Meeting: जानकारी के अनुसार बस्तर, सरगुजा, मध्य क्षेत्र आदिवासी विकास, अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण तथा छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण एवं अन्य पिछड़ा वर्ग विकास प्राधिकरणों के पुनर्गठन का निर्णय लेने का उद्देश्य पांचों प्राधिकरणों की कार्य प्रणाली को प्रभावी एवं सशक्त बनाने के साथ ही उन क्षेत्रों में जनसुविधा के कामों को गति प्रदान करना है। इन पांचों प्राधिकरणों की कमान अब सीधे मुख्यमंत्री के जिम्मे होगी। स्थानीय विधायकों में से एक विधायक को इसका उपाध्यक्ष मनोनीत किया जाएगा।
क्षेत्रीय विधायक इन प्राधिकरणों के सदस्य होंगे। मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव अथवा सचिव इन पांचों प्राधिकरणों के सदस्य सचिव होंगे। बता दें कि वर्ष 2004-05 में बस्तर, सरगुजा एवं अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण का गठन तत्कालीन सरकार द्वारा किया गया था। वर्ष 2012 में छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण एवं अन्य पिछडावर्ग क्षेत्र विकास प्राधिकरण का गठन किया गया। इन प्राधिकरणों के अध्यक्ष मुख्यमंत्री हुआ करते थे।
प्राधिकरणों के गठन के पश्चात् अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों, अनुसूचित जाति बाहुल्य ग्रामों, मजरा-टोला, पारा-मोहल्लों, वार्डों तथा ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी आवश्यकताओं के अनेक महत्वपूर्ण कार्य कराए गए थे। वर्ष 2019 में तत्कालीन सरकार द्वारा इन प्राधिकरणों के कार्य संचालन की प्रक्रिया में अमूल-चूल परिवर्तन कर दिया गया, जिसके चलते प्राधिकरणों का न सिर्फ महत्व कम हो गया, बल्कि इनके कार्याें में पारदर्शिता मॉनिटरिंग का अभाव होने के साथ ही शासन स्तर पर कोई प्रभावी नियंत्रण नहीं रहा। इस कारण से कैबिनेट ने पांचों प्राधिकरणों के पुनर्गठन एवं निधि नियम के प्रस्ताव का अनुमोदन किया।