रायपुर

CG malaria cases: 27 लाख की आबादी वाले रायपुर जिले में मलेरिया के मरीज शून्य!

Raipur Malaria cases Update: शर्त ही ऐसी कि जिन्हें मलेरिया हुआ हो, वो एक माह तक रायपुर से बाहर न जाए, बाहर जाने पर रिपोर्ट पॉजीटिव आने पर नहीं मानते यहां का केस...

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Jul 17, 2024

CG malaria cases: रायपुर जिले की आबादी 27 लाख है। ऐसे में तीन साल में मलेरिया का कोई मरीज न मिलना चौंकाता है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों को माने तो पिछले तीन साल से न केवल राजधानी, बल्कि जिले में भी मलेरिया का कोई केस नहीं मिला है। दरअसल, मलेरिया के मरीज होने के लिए ही शर्त ऐसी है कि इसमें आंकड़ों को कम-ज्यादा दिखाना आसान हो जाता है।

Raipur malaria cases: शून्य केस होना शक

कोई व्यक्ति अगर मलेरिया पॉजीटिव होने के बाद एक माह तक शहर या जिले के सीमा से बाहर नहीं गया है, तभी उन्हें जिले का केस माना जाएगा। ( Raipur malaria cases ) अगर वह जिले के बाहर जाकर, लौटने के बाद या वहां से मलेरिया से पीड़ित होकर आता है, तो इसे यहां का केस नहीं माना जाएगा। ऐसे में भी शून्य केस होना शक के दायरे में है।

CG malaria cases: हालांकि अधिकारियों का दावा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीम इस पर कड़ी निगरानी रख रही है। टीम भी कई बार आकर चली गई है। ऐसे में आंकड़ों में खेल संभव नहीं है। स्वास्थ्य अधिकारी रायपुर में मलेरिया के केस नहीं होने का कारण, जंगलविहीन जिले को भी देते हैं। जिले में कहीं भी जंगल नहीं है।

यहां छत्तीसगढ़ में 2019 से 2023 तक मलेरिया के मामलों की संख्या दर्शाने वाला डेटा चार्ट है। यह रुझान इन वर्षों में मामलों की संख्या में लगातार कमी दर्शाता है।

Chhattisgarh News: विशेषज्ञों ने क्या कहा..

हालांकि पत्रिका की पड़ताल में विशेषज्ञों ने ये भी कहा कि रायपुर में जुलाई से सितंबर तक काफी मच्छर होते हैं। मलेरिया के केस भी काफी आते हैं, लेकिन शर्तों के कारण हो सकता है, ये जिले के केस में गिनती न की जाती हो। ( Chhattisgarh news ) रायपुर शहरी क्षेत्र की आबादी 18 लाख से ज्यादा है। वहीं बाकी आबादी ग्रामीण क्षेत्रों की है। ऐसे में मलेरिया का एक भी केस न आना चौंकाने वाला है। पत्रिका ने सरकारी व निजी अस्पतालों के डॉक्टरों से बात की तो पता चला कि मलेरिया के केस तो आते हैं, लेकिन इसकी संख्या कम होती है।

CG Dengue case: जनवरी से डेंगू के 30 मरीज, इनमें जुलाई में ही 13

जिले में डेंगू के 30 मरीज मिले हैं। ये आंकड़े 1 जनवरी से 16 जुलाई तक का है। 13 मरीज जुलाई में मिल गए हैं। स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि ये पॉजीटिव रिपोर्ट एलाइजा टेस्ट के बाद की है। भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार एलाइजा टेस्ट में रिपोर्ट पॉजीटिव आने के बाद ही डेंगू का मरीज माना जाता है। ( CG Dengue case ) हालांकि सरकारी व निजी अस्पतालों के आंकड़ों के अनुसार राजधानी में ही 50 से ज्यादा मरीज मिल चुके हैं। ये पॉजीटिव रिपोर्ट किट वाली है, जिसे स्वास्थ्य विभाग नहीं मानता। रूक-रूक बारिश होने के बाद डेंगू के मच्छर एडीस की संख्या बढ़ जाती है। विशेषज्ञों के अनुसार डेंगू से बचने मच्छरदानी से बेहतर विकल्प कुछ नहीं है।

पांच साल तक मरीज नहीं मिलने पर मलेरियामुक्त हो जाएगा जिला

लगातार पांच साल तक मलेरिया का कोई मरीज नहीं मिलने पर रायपुर जिला मलेरियामुक्त हो जाएगा। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग जुटा हुआ है। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि सीजन में मलेरिया की जांच तो होती ही है, लेकिन गाइडलाइन के अनुसार कुल आबादी की 12 फीसदी लोगों की मलेरिया जांच अनिवार्य है। जिले में हर साल इतनी आबादी की जांच की जा रही है, जिसमें नियमानुसार कोई पॉजीटिव केस नहीं आ रहा है।

मलेरिया और डेंगू में मुख्य अंतर

डॉक्टरों के अनुसार मलेरिया में शाम को बुखार बढ़ने के साथ कमजोरी महसूस होती है। ठंड भी लगती है। जबकि डेंगू में तेज बुखार के साथ जोड़ों, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द के साथ त्वचा पर चकत्ते व दाने हो जाते हैं।

आंबेडकर अस्पताल प्रोफेसर मेडिसिन डॉ. योगेंद्र मल्होत्रा ने कहा कि बारिश के सीजन में जब मच्छरों की संख्या बढ़ जाती है, तब डेंगू व मलेरिया का रिस्क बढ़ जाता है। दोनों ही बीमारियों के लिए मच्छरदानी लगाकर सोने से बेहतर विकल्प कोई नहीं है। कंपकंपी के बाद लगातार 5 दिन या सप्ताहभर बुखार आए तो मलेरिया-डेंगू की जांच करवानी चाहिए। बुखार होने पर केमिस्ट की दुकान से दवा खरीदकर न खाएं तो बेहतर रहेगा।

जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. बिमल राय ने कहा कि पिछले तीन साल से जिले में मलेरिया का कोई केस नहीं मिला है। लगातार पांच साल तक मरीजों की संख्या शून्य होने पर जिला मलेरियामुक्त हो जाएगा। इसकी घोषणा विश्व स्वास्थ्य संगठन करेगी। टीम समय-समय पर आकर आंकड़ों की जांच करती है। मौके पर भी जाती है।

Updated on:
17 Jul 2024 12:23 pm
Published on:
17 Jul 2024 12:19 pm
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