रायपुर

CG News: बिजली बिल हाफ योजना में कटौती के खिलाफ कांग्रेस बोलेगी हल्ला, पूर्व सीएम भूपेश ने कहा-उपभोक्ताओं के साथ किया छल

CG News: राज्य के 53 लाख उपभोक्ता प्रभावित होंगे। साय सरकार इन उपभोक्ताओं के साथ छल किया है। राज्य सरकार ने योजना में संशोधन के साथ ऐसी शर्तें लगा दी हैं, जिससे 100 यूनिट तक में छूट का भी लाभ उपभोक्ताओं को नहीं मिलने वाला है।

2 min read
Aug 06, 2025
बिजली मुख्यालय के सामने किया प्रदर्शन (Photo Patrika)

CG News: छत्तीसगढ़ में हाफ बिजली बिल योजना और हसदेव अरण्य में कोयला खदान विस्तार को कांग्रेस एक बड़ा सियासी मुद्दा बनाकर जन आंदोलन का रूप देने जा रही है। भूपेश बघेल ने पत्रकारों से चर्चा के दौरान इसके संकेत दिए। उन्होंने हाफ बिजली बिल योजना में कटौती पर साय सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा, इससे सीधे तौर पर राज्य के 53 लाख उपभोक्ता प्रभावित होंगे। साय सरकार इन उपभोक्ताओं के साथ छल किया है। राज्य सरकार ने योजना में संशोधन के साथ ऐसी शर्तें लगा दी हैं, जिससे 100 यूनिट तक में छूट का भी लाभ उपभोक्ताओं को नहीं मिलने वाला है।

400 यूनिट तक आधा बिल था

बघेल ने कहा, जब कांग्रेस की सरकार थी तो 400 यूनिट तक आधा बिजली बिल ही देना पड़ता था। अर्थात 200 यूनिट तक फ्री बिजली और इसमें किसी तरह की शर्तें भी नहीं लगाई गई थी। वहीं एकल बत्ती कनेक्शनधारियों को 30 यूनिट तक बिजली फ्री का प्रावधान था, लेकिन अब 53 लाख उपभोक्ता अगर 100 यूनिट से अधिक बिजली खपत करते हैं तो उन्हें किसी भी तरह से कोई छूट सरकार नहीं देगी। 100 यूनिट के बाद पूरा का पूरा बिल लगेगा. सर प्लस राज्य में यह उपभोक्ताओं के साथ अन्याय है। कांग्रेस इसके खिलाफ जमीनी लड़ाई लड़ेगी।

हसदेव अरण्य का विनाश रोकना होगा: भूपेश बघेल ने कहा, हसदेव अरण्य में कोयला खदान का विस्तार होना चिंताजनक है। जब कांग्रेस की सरकार थी तो हमने विधानसभा में संकल्प लाकर खदान नहीं खुलने देने का प्रस्ताव पारित किया था। राजस्थान सरकार से भी हमने कह दिया था, जो खदान संचालित है उससे पर्याप्त कोयला मिल रहा है। ऐसे में विस्तार की जरूरत ही नहीं है, लेकिन एक उद्योगपति के लिए हसदेव अरण्य को उजाड़ा जा रहा है। हसदेव के विनाश को रोकना होगा। जल-जंगल की लड़ाई में कांग्रेस हसदेव के साथियों के साथ है।

Updated on:
06 Aug 2025 10:08 am
Published on:
06 Aug 2025 10:07 am
Also Read
View All

अगली खबर