CG News: रायपुर प्रदेश के अंचलों में रहने वाले ग्रामीणों के रोजगार की तलाश में लगातार पलायन करने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है।
CG News: छत्तीसगढ़ के रायपुर प्रदेश के अंचलों में रहने वाले ग्रामीणों के रोजगार की तलाश में लगातार पलायन करने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। हर दिन रोजगार की तलाश में सैकड़ों ग्रामीण दूसरे राज्यो में पलायन कर रहे हैं। इसमें अधिकतर गांव के युवा वर्ग शामिल हैं। इसके अलावा महिलाएं भी काम की तलाश में पलायन कर रही हैं। लोगों का मानना है कि मनरेगा के तहत काम तो दिया जाता है, लेकिन उसकी मजदूरी दर काफी कम है और भुगतान भी नकद नहीं किया जाता है। यह भी पलायन की एक वजह है।
CG News: ग्रामीणों के मुताबिक मनरेगा की मजदूरी का भुगतान ऑनलाइन होता है और उन्हें अपने मेहनताने को पाने के लिए 3 से 4 महीने तक इंतजार करना पड़ता है। इसके बाद कई बार बैंकों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि मजदूरी के बाद हर मजदूर चाहता है कि उसे उसका मेहनताना समय पर और नकद में मिले, लेकिन ऐसा नहीं होता। ऐसे में उन्हें घर परिवार चलाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। यही वजह है कि गांव के युवा और महिलाएं दूसरे राज्यों में पलायन करने को मजबूर हैं।
प्रदेश में पलायन रोकने के लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं। श्रम विभाग में संचालित योजनाओं को मजूदरों तक पहुंचाने के लिए विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए गए है। साथ ही प्रदेश के श्रमिकों को ज्यादा से ज्यादा काम दिलाने के लिए विभाग को निर्देश दिए जा रहे हैं।
छत्तीसगढ़ की तुलना में दूसरे राज्यों में नकद पैसा दिया जाता है और मजदूरी भी अच्छी खासी दी जाती है। जिससे 12 महीने युवा वहीं रहकर काम करते हैं और तीज त्योहारों पर कुछ दिन के लिए घर लौटते हैं। प्रदेश के सैकड़ों गांव का यही हाल है। बता दें कि नए आदेश के मुताबिक मनरेगा के तहत काम करने वाले श्रमिकों को छत्तीसगढ़ के लिए 224 रुपए प्रतिदिन की मजदूरी तय की गई है। वहीं, मनरेगा योजना के तहत छत्तीसगढ़ में मजदूरों को 150 दिनों का काम दिया जाता है। राज्य में कुल 84,91,206 मजदूर इस स्कीम के तहत पंजीकृत हैं। इनमें से 63,54,612 श्रमिक सक्रिय हैं।