Mission Clean Village: केंद्र से इस विभाग को पिछले चार साल में 1000 करोड़ रुपए से अधिक की राशि मिल चुकी है, लेकिन विभाग द्वारा राशि खर्च करने में केंद्र के दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है।
Mission Clean Village: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मिशन क्लीन विलेज योजना को छतीसगढ़ में पंचायत विभाग एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा पलीता लगाया जा रहा है। केंद्र से इस विभाग को पिछले चार साल में 1000 करोड़ रुपए से अधिक की राशि मिल चुकी है, लेकिन विभाग द्वारा राशि खर्च करने में केंद्र के दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि वर्ष 2025-26 के लिए राशि में साफ-सफाई और प्रचार-प्रसार में नियम विरुद्ध वेतन बांटे जा रहे हैं।
बता दें कि स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) के पहले फेज में गांवों के हर घर में टॉयलेट बनवाना था। 2020 से 2025 के लिए शुरू सेकंड फेज में केंद्र सरकार ने योजना का मोड बदलकर क्लीन विलेज कर दिया। इसमें गांवों की साफ-सफाई के साथ टॉयलेट का मेंटेनेंस, वेस्ट मैनेजमेंज सहित अन्य कार्य कराना है। इसके लिए 250 करोड़ के हिसाब से चार साल में अभी तक पंचायत विभाग को 1000 करोड़ मिल चुका है। केंद्र ने कुल बजट का 2 प्रतिशत राशि सेटअप पर खर्च करने का प्रावधान रखा है। सेकंड मोड में जागरुकता का काम ज्यादा है, इसलिए प्रशासनिक खर्च के बजट में 1 प्रतिशत की कटौती की गई है।
सूत्र बताते हैं कि केंद्र सरकार ने दिशा-निर्देश में यह भी कहा था कि एसबीएम-2 का सेटअप, बायलॉज बनाकर कैबिनेट से पारित कराया जाए, इसके ही बाद काम प्रारंभ करें। लेकिन विभाग के अधिकारियों ने सेटअप का अनुमोदन कैबिनेट से पारित ही नहीं कराया। क्योंकि सरप्लस अधिकारियों-कर्मचारियों को बाहर करना पड़ता है। वैसे भी जिनकी जरूरत नहीं है, उसे भी मोटी सैलरी रखकर पगार दिया जा रहा है। कई लोग तो अधिकारियों-कर्मचारियों के रिश्ते-नाते हैं, इस कारण से उपकृत करने काम किया जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि पांच में पगार देने में ही 35 करोड़ रुपए खर्च कर दिया गया है।
बता दें कि ग्रमीण स्वच्छ भारत मिशन के तहत कई गांवों में कोई काम नहीं हो रहा है। गांवों में बनाए गए सामुदायिक शौचालय बदहाल है। गांवों की सड़कों की साफ-सफाई के लिए पंचायत द्वारा कोई व्यवस्था नहीं की गई है। कई गांवों में घर-घर कचरा लेने के लिए रिक्शा तक की व्यवस्था तक नहीं है। गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वालों के लिए पंचायत द्वारा बनाए गए शौचालय नदारद है। घरों से निकलने वाले कचरे को डिस्पोज करने की व्यवस्था तक पंचायत द्वारा नहीं की गई है।
सूत्रों के अनुसार, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा सेटअप पर निर्देश से अधिक राशि खर्च की जा रही है। निर्देश के अनुसार, विभाग को बजट का एक प्रतिशत राशि खर्च करना था। इस हिसाब से 250 करोड़ के हिसाब से हर साल ढाई करोड़ रुपए खर्च करना था। विभाग तीन प्रतिशत से अधिक राशि खर्च कर रही है। बताया जाता है कि 9 करोड़ रुपए से अधिक सेटअप पर ही खर्च किया जा रहा है।
फिलहाल मैं बाहर हूं। इस मामले में जो भी शिकायतें है, उसकी जांच कराई जाएगी। एसबीएम एमडी से इस बारे में विस्तार से जानकारी आप ले सकते हैं।
गांवों में स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन, व्यक्तिगत और सामुदायिक शौचालय निर्माण, और जागरुकता अभियान जैसे कई कार्यक्रम चलाना।
ग्राम पंचायतों को स्वच्छता कार्यक्रमों को लागू करने और निगरानी करना।
कचरा मुक्त ग्राम योजना और प्लास्टिक मुक्त ग्राम अभियान चलाना।
लगभग प्रदेश में कुल गांव-19000
लगभग ग्राम पंचायतें-11000