CG News: छत्तीसगढ़ के उरला, सिलतरा, बिरगांव, सरोरा के सैंकड़ों उद्योगों के प्रदूषण की कालिख न सिर्फ बिरगांव नगर-निगम के लोगों के लिए जी का जंजाल बन चुकी है।
CG News: अजय रघुवंशी .छत्तीसगढ़ के उरला, सिलतरा, बिरगांव, सरोरा के सैंकड़ों उद्योगों के प्रदूषण की कालिख न सिर्फ बिरगांव नगर-निगम के लोगों के लिए जी का जंजाल बन चुकी है, बल्कि जहरीले धुएं की आंच राजधानी तक भी पहुंच रही है। दो नगर-निगम के हजारों लोग परेशान हैं। सर्दी के मौसम में इसका और ज्यादा दुष्प्रभाव देखा जा रहा है।
धुएं की कालिख ऐसी है कि न सिर्फ आम आदमी बल्कि पशु-पक्षी, नदी-पानी में भी यह जहर घुलता जा रहा है। प्रदूषण की मार गाड़ियों के लिए भी परेशानी का सबब बन गई है। पत्रिका ने उरला, सिलतरा, सरोरा और रायपुर में ग्राउंड रिपोर्टिंग के दौरान पाया कि उद्योगों से निकलने वाली जहरीली गैस और धूल के मोटे कण घरों तक पहुंच रहे हैं।
राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (एनईईआरआई) ने औद्योगिक स्रोतों से होने वाले प्रदूषण का विस्तृत अध्ययन किया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने सिलतरा और रायपुर औद्योगिक क्षेत्र को क्रिटिकली पोल्यूटेड एरिया घोषित किया है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम के लाइव डेटा की स्थिति भी चिंताजनक है। शहर के चार स्टेशनों पर लगी मशीनों की रिपोर्ट चौकाने वाली है। इसके मुताबिक पीएम 10 के मानक आंकड़े 100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर होने चाहिए, वहीं पीएम 2.5 का आंकड़ा 50 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर होना चाहिए।
एक नजर में
(नोट-रिपोर्ट के केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मिली जानकारी के मुताबिक, 19 नवंबर की स्थिति में, आंकड़े माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर में)
प्रदूषण की मार का असर दीनदयाल उपाध्याय नगर (डीडी नगर) से लेकर रायपुरा क्षेत्र में भी असर देखा जा रहा है। डीडी नगर के मकानों की छतों में काले धुएं की परतें जमने लगी है, वहीं रायपुरा के कई क्षेत्र जैसे इंद्रप्रस्थ कॉलोनी, अग्रोहा सोसायटी व हाउसिंग बोर्ड की कालोनियों में काले धुएं की परत छतों पर जमने लगी है।