रायपुर शहर ( Raipur city) में स्मार्ट रोड परियोजना ( Smart Road project ) के तहत बन रहे पाथवे में अब सीमेंट (Cemen) और बजरी का इस्तेमाल किया जा रहा है, जबकि पहले इसमें पेवर ब्लॉक्स लगाए जाने थे। इस बदलाव को लेकर आम लोगों और विशेषज्ञों (common people and experts ) के बीच चिंताएं उभर रही हैं।
खासकर बरसात के मौसम में इन पाथवे पर पानी के जमा होने और निर्माण में आई शुरुआती खामियों को लेकर सवाल उठने लगे हैं। पाथवे जीई रोड पर आश्रम चौक से लेकर एनआईटी तक बनाया जा रहा है और इसकी लागत करोड़ों रुपए रखी गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि बदलाव से पाथवे की मजबूती तो बढ़ सकती है, लेकिन इस पर बरसात के पानी का प्रभाव पड़ सकता है। दीर्घकालिक आधार पर सडक़ की गुणवत्ता पर असर डाल सकता है और जलभराव की समस्या पैदा कर सकता है।
स्मार्ट रोड के पाथवे में कई स्थानों पर चौड़ाई तो ठीक है, लेकिन कुछ स्थानों पर संकीर्ण पाथवे बनाया गया है। यह सडक़ पर चलने वालों के लिए असुविधा का कारण बन सकता है, खासकर यदि लोगों का दबाव बढ़े। संकीर्ण पाथवे से दुर्घटनाओं की आशंका भी बढ़ सकती है, क्योंकि पैदल चलने वाले और वाहन चालक एक ही जगह पर एक साथ आ सकते हैं।
अभी से पाथवे में दरारें पडऩे लगी हैं, जिससे निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं। बारिश और मौसम की मार के चलते ये दरारें बढ़ सकती हैं, जो रोड की मजबूती को प्रभावित कर सकती हैं। पाथवे के निर्माण में लापरवाही से जनता को आने वाले समय में और समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
बदलाव के बाद आसपास के लोगों में असंतोष है, क्योंकि पहले से ही स्मार्ट रोड के पाथवे की गुणवत्ता और निर्माण को लेकर सवाल उठ रहे थे। अब सीमेंट और बजरी के उपयोग से निर्माण में स्थायित्व पर सवाल उठने लगे हैं। आसपास के लोगों का कहना है कि पाथवे की चौड़ाई बढ़ाकर उसे अधिक उपयोगी बनाया जाना चाहिए और निर्माण में स्थायित्व बनाए रखने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को कड़ी निगरानी रखनी चाहिए। बरसात में जलभराव की समस्या से बचने के लिए पर्यावरण अनुकूल समाधान की दिशा में काम करना चाहिए। साथ ही, पाथवे के डिजाइन में सुधार की आवश्यकता है ताकि यह शहरवासियों के लिए अधिक सुरक्षित और सुविधाजनक हो सके।
पाथवे निर्माण की गुणवत्ता की जांच की जाएगी। यदि खामियां पाई जाती हैं, तो आवश्यक सुधार किए जाएंगे ताकि जनता को बेहतर सुविधाएं मिल सकें।
विश्वदीप, आयुक्त, नगर निगम