अब प्राधिकरण के दायरे में आने वाले क्षेत्रों में विकास कार्यों के लिए अनुमति लेना जरूरी होगा। इसका कार्यालय नवा रायपुर में बनाने की तैयारी है। इसके लिए बजट में 5 करोड़ का प्रावधान किया गया था। अब इसके आकार में वृद्धि होगी।
प्रदेश में नवा रायपुर, रायपुर, दुर्ग-भिलाई को मिलाकर स्टेट कैपिटल रीजन बनाने का रास्ता साफ हो गया है। राज्यपाल ने छत्तीसगढ़ राजधानी क्षेत्र विकास प्राधिकरण अधिनियम, 2025 को मंजूरी दे दी है। यह अधिनियम अब राजपत्र में प्रकाशित होकर प्रभावी हो गया है। इसके दायरे में चार से पांच बड़े शहर और करीब 500 छोड़े-बड़े गांव आएंगे।
यह प्राधिकरण नवा रायपुर विकास प्राधिकरण की तर्ज पर काम करेंगे। इसके अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे और प्राधिकरण के संचालन के लिए सीईओ की भी नियुक्ति होगी। विभिन्न विभागों के सचिव इसके सदस्य रहेंगे। इसके अलावा चार विधायकों को भी इस प्राधिकरण में जगह दी जाएगी। स्थानीय निकायों के प्रतिनिधि भी इसमें सदस्य बनाए जाएंगे। इसके अलावा इस क्षेत्र में आने वाले जिलों के कलेक्टर भी इसमें शामिल होंगे। प्राधिकरण का उद्देश्य शहरीकरण को नियोजित रूप देना, आवासीय और व्यावसायिक जरूरतों के अनुरूप योजनाएं तैयार करना तथा आधारभूत संरचनाओं का सुदृढ़ीकरण करना होगा। अब प्राधिकरण के दायरे में आने वाले क्षेत्रों में विकास कार्यों के लिए अनुमति लेना जरूरी होगा। इसका कार्यालय नवा रायपुर में बनाने की तैयारी है। इसके लिए बजट में 5 करोड़ का प्रावधान किया गया था। अब इसके आकार में वृद्धि होगी।
प्राधिकरण के नए नियम के मुताबिक, इसके दायरे में आने वाले संबंधित क्षेत्र में निर्माण कार्य के लिए विकास शुल्क की राशि ली जा सकेगी। यह शुल्क किसी भवन या भूमि पर किए जाने वाले विकास कार्य पर देना होगा। शुल्क का निर्धारण प्राधिकरण करेगा। प्राधिकरण को अवैध निर्माण और अतिक्रमण हटाने का भी अधिकार होगा। स्टेल कैपिटल रीजन का चरणबद्ध तरीके से विकास किया जाएगा। इसकी कार्ययोजना बनाने की जिम्मेदारी प्राधिकरण के पास होगी। यह प्राधिकरण भवन निर्माण, सड़कों, जल-निकासी, यातायात और आधारभूत सेवाओं के राज्यों में मानकीकरण और नवाचार को बढ़ावा देगा। इससे सरकार लघु एवं दीर्घकालिक योजनाओं को अलग-अलग बनाएगा।
इस प्राधिकरण के गठन के बाद राजधानी क्षेत्र में जनता को जल, स्वच्छता, आवागमन एवं सार्वजनिक पार्क जैसी बुनियादी सेवाओं में निरंतर सुधार मिलेगा। नागरिक सुझावों और भागीदारी को अधिनियम में विशेष स्थान दिया गया है, जिससे योजनाओं में स्थानीय जरूरतों की झलक मिल सके। इसमें प्राधिकरण को भूमि अधिग्रहण और पुनर्वास अधिकार प्राप्त हैं, जिससे ज़रूरतमंद क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जा सके ।