रायपुर

CGMSC की सख्त कार्रवाई! घटिया हिपेरिन इंजेक्शन बनाने वाली कंपनी 3 साल के लिए ब्लैक लिस्टेड

CGMSC News: रायपुर में घटिया हिपेरिन इंजेक्शन बनाने वाली वड़ोदरा की डिवाइन लेबोरेटरी प्राइवेट लिमिटेड को तीन साल के लिए ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया है।

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Jun 27, 2025
घटिया हिपेरिन इंजेक्शन बनाने वाली कंपनी 3 साल के लिए ब्लैक लिस्टेड(photo-unsplash)

CGMSC News: पीलूराम साहू. छत्तीसगढ़ के रायपुर में घटिया हिपेरिन इंजेक्शन बनाने वाली वड़ोदरा की डिवाइन लेबोरेटरी प्राइवेट लिमिटेड को तीन साल के लिए ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया है। जून 2028 तक कंपनी कॉर्पोरेशन का कोई टेंडर नहीं भर पाएगी। यह कार्रवाई सीजीएमएससी ने की है। कंपनी से सप्लाई 5 बैच के इंजेक्शन घटिया निकले थे।

लाइफ सेविंग इंजेक्शन बनाने वाली कंपनी क्वालिटी पर बिल्कुल ध्यान नहीं दे रही है। ओपन हार्ट सर्जरी व एंजियोप्लास्टी के दौरान उपयोग होने वाले हिपेरिन इंजेक्शन को लगाने के बाद खून पतला नहीं हो रहा था। उल्टा थक्का जमने से मरीजों की जान का खतरा बढ़ गया था।

CGMSC News: सीजीएमएससी की सख्त कार्रवाई

पत्रिका ने सबसे पहले हिपेरिन इंजेक्शन के घटिया होने का मामला उठाया था। 8 जनवरी को ओटी टेबल पर सर्जरी के लिए तैयार मरीज का खून नहीं हुआ पतला शीर्षक से सबसे पहले समाचार प्रकाशित किया था। इसके ठीक बाद इसी कंपनी का इंजेक्शन भी घटिया निकला। एक के बाद एक कुल 5 बैच के इंजेक्शन क्वालिटी पर खरा नहीं उतरा।

पहले दो बैच फेल होने पर सीजीएमएससी ने डिवाइन कंपनी के साथ रेट कांट्रेक्ट खत्म किया था। यही नहीं इंजेक्शन को ओके रिपोर्ट देने वाली हरियाणा की दो लैब इडमा लेबोरेटरीज लिमिटेड पंचकूला व सेटिएट रिसर्च एंड अंटेक प्राइवेट लिमिटेड बरवाला पंचकूला से भी रेट कांट्रेक्ट खत्म किया गया था।

कंपनी 3 साल के लिए ब्लैक लिस्टेड

इसके बाद इसी इंजेक्शन के तीन बैच को दवा कॉर्पोरेशन ने उपयोग करने पर प्रतिबंध लगाया और आंबेडकर, डीकेएस समेत रायपुर व बलौदाजार के अस्पतालों से वापस मंगाया। इसके बाद ब्लैक लिस्टेड करने की कार्रवाई की गई है। इसमें कारण इंजेक्शन की क्वालिटी फेल होना बताया गया है। 2025 में किसी कंपनी के खिलाफ सीजीएमएससी की यह पहली कार्रवाई है।

लाइफ सेविंग जैसे हिपेरिन सोडियम इंजेक्शन को घटिया बनाने वाले डिवाइन लेबोरेटरी के खिलाफ आखिर सीजीएमएससी एफआईआर क्यों नहीं करवा रही है? ये बड़ा सवाल है। जानकारों का कहना है कि जीवन के साथ ऐसे खिलवाड़ करने वाली फार्मास्यूटिकल कंपनी के खिलाफ अपराध दर्ज होना ही चाहिए।

दरअसल एक बैच का इंजेक्शन फेल होता है, ये मानव या तकनीकी त्रुटि कही जा सकती है, लेकिन एक के बाद एक, पांच बैच फेल होना जानबूझकर किया खेल लगता है। क्या ये इंजेक्शन पानी था? मरीजों का इलाज व ऑपरेशन करने वाले डॉक्टरों के अनुसार ये इंजेक्शन पानी की ही तरह था, जो कोई असर ही नहीं कर रहा था।

कितनी मौतें, ये जांच का विषय

हार्ट अटैक आने के बाद न केवल एसीआई, वरन जिला और दूसरे अस्पतालों में ये इंजेक्शन का उपयोग किया गया। कितने मरीजों की मौत हुई होगी, ये जांच का विषय भी है। मामला गंभीर है, लेकिन दवा कॉर्पोरेशन ने केवल ब्लैक लिस्टेड की कार्रवाई की। दरअसल एसीआई में खून पतला हुआ है या नहीं, इसकी जांच करने वाली मशीन है। बाकी अस्पतालों में ये मशीन ही नहीं लगी है।

Updated on:
27 Jun 2025 08:50 am
Published on:
27 Jun 2025 08:48 am
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