CG News: छत्तीसगढ़ के रायपुर में सीजीएमएससी ने पतले खून को सामान्य करने वाले घटिया इंजेक्शन प्रोटामिन सल्फेट के उपयोग पर रोक लगा दी है। आंबेडकर अस्पताल समेत रायपुर और बलौदाबाजार जिले के अस्पतालों से स्टॉक वापस मंगाया गया है। सीजीएमएससी कार्रवाई में केवल इसलिए देरी कर रहा था, क्योंकि वाइटल कंपनी नासिक के इस इंजेक्शन का सप्लायर दवा कॉर्पोरेशन का पूर्व जीएम था।
उनके रसूख के चलते कार्रवाई करने में अधिकारियों के हाथ-पांव कांप रहे थे। जबकि इंजेक्शन के ठीक से काम नहीं करने और जोखिम संबंधी शिकायत एक माह पहले आंबेडकर अस्पताल प्रबंधन ने की थी। देखने वाली बात होगी कि कॉर्पोरेशन दवा कंपनी के खिलाफ क्या कार्रवाई करता है?
सीजीएमएससी के ड्रग वेयर हाउस के स्टोर ऑफिसर ने शुक्रवार को आंबेडकर और डीकेएस अस्पताल के अधीक्षक, डेंटल कॉलेज के प्राचार्य, रायपुर और बलौदाबाजार के सीएमएचओ-सिविल सर्जन, बीएमओ, मेडिकल अफसर तथा शहरी हैल्थ एंड वेलनेस सेंटर को पत्र लिखकर इंजेक्शन का उपयोग नहीं करने को कहा है। साथ ही स्टॉक को वापस वेयर हाउस में भेजने के निर्देश दिए गए हैं।
सभी को पत्र लिखा गया है कि इसका मतलब ये है कि इंजेक्शन की सप्लाई रायपुर व बलौदाबाजार जिले के इन अस्पतालों में की गई है। प्रदेश के दूसरे अस्पतालों में भी सप्लाई की गई होगी। रायपुर वेयर हाउस से रायपुर व बलौदाबाजार जिले के अस्पतालों में इंजेक्शन की सप्लाई होती है।
इंजेक्शन को लगाने के बाद 1 से 2 मिनट में खून सामान्य हो जाना चाहिए, लेकिन 20 से 25 मिनट लग रहा है। इससे मरीजों की जान पर खतरा बन रहा था। इसका जिक्र अस्पताल अधीक्षक को लिखे गए पत्र में भी है। इंजेक्शन का सप्लायर सीजीएमएससी के पूर्व जीएम फाइनेंस विपिन माहेश्वरी हैं।
‘पत्रिका’ ने गत 25 मई को अब खून गाढ़ा करने वाला इंजेक्शन घटिया निकला शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। प्रोटामिन सल्फेट इंजेक्शन नासिक के वाइटल हैल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड में बना है। बैच नंबर वी24133, मैनुफैक्चर डेट जून 2024 व एक्सपायरी डेट मई 2026 है।
इसका उपयोग ओपन हार्ट सर्जरी के बाद मरीजों का खून सामान्य या गाढ़ा करने के लिए किया जाता है। डीकेएस में डायलिसिस के मरीजों के लिए इंजेक्शन का उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग हिपेरिन के प्रभावों को उलटने के लिए किया जाता है। खास बात ये है कि इसकी शिकायत कार्डियक सर्जरी विभाग ने की थी, क्योंकि वहां खून गाढ़ा है या पतला, इसकी जांच के लिए मशीन लगी है।
लाइफ सेविंग घटिया इंजेक्शनों की सप्लाई से मरीजों की जिंदगी दांव पर है। चाहे प्रोटामिन सल्फेट हो या हिपेरिन इंजेक्शन, इनके निर्माता कंपनी केवल टेंडर भरकर अस्पतालों में सप्लाई करती है। खुले बाजार में दवा या इंजेक्शन कम ही देखने को मिलते हैं।
जानकारों ने बताया कि इसलिए ये कंपनियां सब स्टैंडर्ड व घटिया इंजेक्शन बनाने लगी हैं। हिपेरिन इंजेक्शन तो पानी की तरह था, जो खून को पतला ही नहीं कर रहा था। शिकायत कार्डियोलॉजी व कार्डियक सर्जरी विभाग ने की थी। इस खबर को भी पत्रिका ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था।
Updated on:
21 Jun 2025 10:12 am
Published on:
21 Jun 2025 10:11 am