Raipur News: 1942 में यहां हवाई पट्टी का निर्माण किया गया। आज वहीं हवाई अड्डा स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा है। जिसे पहले माना हवाई अड्डा के नाम से जाना जाता था
अनुराग सिंह. द्वितीय विश्वयुद्ध में भारत के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। रायपुर (Raipur News) में भी द्वितीय विश्वयुद्ध की निशानी आज भी हम देख सकते हैं। रायपुर में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हवाई अड्डे के लिए जमीन दी गई। दस्तावेजों के अनुसार यहां एरोड्रोम यानी ऐसा क्षेत्र जहां विमान उतर और उड़ान भर सकें, डेवलप किया गया। 1942 में यहां हवाई पट्टी का निर्माण किया गया। आज वहीं हवाई अड्डा स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा है। जिसे पहले माना हवाई अड्डा के नाम से जाना जाता था। इस जानकारी के दस्तावेज आज भी संस्कृति विभाग में सुरक्षित रखे हुए हैं।
संस्कृति विभाग की ओर से महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय स्थित कला वीथिका में विश्व अभिलेखागार सप्ताह के अवसर पर ऐतिहासिक दस्तावेजों की छायाप्रति प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है। जहां 10 विषयों पर लगभग 50 शीट प्रदर्शित की गई है। जिसमें लगभग 140 से ज्यादा दस्तावेज प्रदर्शित किए गए हैं। इसमें रायपुर एयरपोर्ट के बारे में भी जानकारी दी गई है जिसमें बताया गया है कि 1942 में 10 गांवों की कुल 1204.17 एकड़ जमीन एयरफील्ड बनाने के लिए दी गई। प्रदर्शनी 13 जून तक चलेगी।
दस्तावेजों के अनुसार, रायपुर के आस-पास के 7 गांवों की जमीन एरोड्रोम बनाने के लिए दी गई। इनमें से कुछ जमीन परमानेंट एरोड्रोम के लिए थी और कुछ जमीन वॉर तक रिक्वायर की गई। इसमें कुल 1204 एकड़ जमीन थी। जिसमें माना में 393.15 एकड़, बनारसी में 247.74 एकड़, रणचंडी में 282.33 एकड़, बसोंदा में 114 एकड़, धरमपुरा में 11.83 एकड़, बरोदा में 45.78 एकड़, टेमरी में 109.34 एकड़ जमीन शामिल थी।
प्रदर्शनी में 10 विषयों से संबंधित दस्तावेज प्रदर्शित किए गए हैं। इनमें सबसे ज्यादा फोकस बस्तर संभाग पर है। इसमें रायपुर के 3, राज्य से संबंधित 1 और बाकी बस्तर संभाग से संबंधित हैं। इसमें 1942 में हवाई अड्डे का प्रस्ताव, 1947 में बस्तर की सनद, 1948 के वन विभाग के दस्तावेज, 1949 के महुआ निर्यात पर रोक, 1948 का बस्तर समझौता, 1949 के श्री दंतेश्वरी माई मंदिर उद्घाटन समारोह, 1949-50 के पुरातात्विक स्मारकों का संरक्षण, 1951 में जमींदारी उन्मूलन के बाद की जानकारी, रायपुर संग्रहालय के लिए अनुदान, तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद का छत्तीसगढ़ दौरा जैसे घटनाक्रमों के दस्तावेज प्रदर्शित किए गए हैं।