राजधानी के मोवा में खूंखार कुत्ते ने पांच साल के मासूम पर टूट पड़े। पिता की चीख पुकार के बीच एक बच्चा तो किसी तरह बच गया, लेकिन छोटे बच्चे पर झपट्टा मारकर कुत्तों ने नोंच डाला।
कुत्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने निकायों को पुख्ता इंतजाम करने का सख्त निर्देश दिया है। इसके कुछ दिन बाद ही राजधानी के मोवा में खूंखार कुत्ते ने पांच साल के मासूम पर टूट पड़े। पिता की चीख पुकार के बीच एक बच्चा तो किसी तरह बच गया, लेकिन छोटे बच्चे पर झपट्टा मारकर कुत्तों ने नोंच डाला। हैरानी ये कि इस दर्दनाक घटना के दूसरे दिन भी निगम के जिम्मेदार मौके पर नहीं पहुंचे। न ही ऐसे खूंखार कुत्तों की धरपकड़ का अभियान चलाया।
मासूम के पिता राजेश्वर गार्ड का हैं। उन्होंने बताया कि सुबह 10 बजे के आसपास दोनों बच्चों को लेकर वह बाजार जा रहा था। दोनों बच्चे आगे थे और वह पीछे था। उसी दौरान मोहल्ले के दो कुत्ते अचानक टूट पड़े। उसने चिल्लाते हुए किसी तरह बड़े वाले बच्चे को तो बचा लिया, लेकिन दोनों कुत्ते ने छोटे बच्चे विवेक को निशाना बना लिया। चीख-पुकार सुनकर आसपास की मदद से किसी तरह बचा पाए। इस दर्दनाक घटना की सूचना पर निगम में नेता प्रतिपक्ष एवं पं. रविशंकर शुक्ल वार्ड 34 के पार्षद आकाश तिवारी पीडि़त के घर पहुंचे और उस बच्चे के इलाज में मदद की और उस गरीब परिवार को ढांढस बंधाया। उन्होंने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि इतनी दर्दनाक घटना गरीब परिवार के साथ हो जाने के बाद भी निगम के जिम्मेदार अधिकारी उस मोहल्ले तक में नहीं पहुंचे। जो निंदनीय है।
आवारा कुत्तों से पूरा शहर परेशान है। सबसे अधिक खतरा बच्चों को है। लगातार खूंखार कुत्तों के शिकार बच्चे हो रहे हैं, लेकिन कारगर उपाय नगर निगम स्वास्थ्य विभाग करने में असफल साबित हुआ है। ऐसी घटनाओं और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आखिरकार डॉग कैचर टीम ने विभिन्न मोहल्लों से सड़क पर 15 आवारा श्वानों को पकड़ा और बैरनबाजार सेंटर में नसबंदी कराई।
लोग आवारा कुत्तों के हमलों की शिकायत निगम के निदान-1100 में कर रहे हैं। कई दिनों बाद डॉग कैचर टीम ने अभियान चलाकर ऐसी शिकायतों का निराकरण किया। निगम क्षेत्र के मोवा, अवन्ति विहार कॉलोनी, कोटा, शंकर नगर, चंगोराभाठा सहित अन्य स्थानों से 15 आवारा श्वानों को डॉग कैचर से पकड़ा। निगम आयुक्त विश्वदीप और अपर आयुक्त स्वास्थ्य विनोद पाण्डेय और स्वास्थ्य अधिकारी प्रीति सिंह ने अमले को लगातार अभियान चलाकर नसबंदी और टीकाकरण कराने के निर्देश दिए हैं।
प्रदेश में डॉग बाइट के तीन मामले में हाईकोर्ट ने 10-10 लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया था। 7 साल पहले रायपुर की 8 वर्षीय दिव्या वर्मा की मौत पर परिजनों को 10 लाख रुपए दिया गया था। यह राशि नेहरू मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने दी थी। दरअसल, इस मौत को हाईकोर्ट ने लापरवाही से मौत माना। आंबेडकर अस्पताल में रोजाना 20 के करीब लोगों को एंटी रैबीज वैक्सीन लगाई जा रही है। इसमें 6 से 7 लोग नए होते हैं। यानी वे पहला डोज लगवाने आते हैं।