Raipur News: ऑनलाइन सिस्टम से टाइमिंग की मॉनिटरिंग करना और विवाद की समस्या को दूर किया जाना रेलवे का उदेश्य था, लेकिन यह सिस्टम कारगर साबित होता नजर नहीं आ रहा है।
Raipur News: रेलवे स्टेशन पर पिछले माह पार्किंग के लिए शुरू हुआ ऑनलाइन सिस्टम फेल हो गया है। इसे एक माह के लिए ट्रॉयल के तौर पर शुरू किया गया था। इसके सफल होने पर इसे चार पहिया के साथ-साथ दो पहिया वाहनों की पार्किंग में लागू किया जाना था। ऑनलाइन सिस्टम में समय ज्यादा लगने के कारण अब दोबारा रसीद वाला सिस्टम शुरू हो चुका है।
ऑनलाइन सिस्टम से टाइमिंग की मॉनिटरिंग करना और विवाद की समस्या को दूर किया जाना रेलवे का उदेश्य था, लेकिन यह सिस्टम कारगर साबित होता नजर नहीं आ रहा है। पड़ताल में सामने आया कि वाहन चालकों को मैन्युअल तरीके से पर्ची कटाने से ज्यादा समय ऑनलाइन सिस्टम में लग रहा है।
एप डाउनलोड करने पर आता है ओटीपी: यहां चार पहिया वाहन खड़ा करने आने वाले लोगों को पहले अपने मोबाइल में एक एप डाउनलोड कराया जा रहा था। इसके बाद वाहन की फोटो खींचकर अपलोड की जाती है। तभी ओटीपी वाहन खड़े करने के पास पहुंचता है। इसे अपलोड करने के बाद ही वाहन को अंदर जाने की अनुमति दी जाती है। इस प्रक्रिया में तीन से पांच मिनट का समय लग जाता है। वापसी में भी ओटीपी पार्किंग स्टैंड कर्मचारी को बताना पड़ता है। इसके बाद पैमेंट कन्फर्म होने के बाद वाहन को बाहर निकाला जाता है।
रेलवे की ओर से पहले भी वाहनों की स्टेशन में एंट्री को लेकर नियम लागू किए गए थे। आए दिन विवाद होने के कारण कुछ माह में ही इसे बंद कर दिया गया। दरअसल रेलवे की ओर से स्टेशन में एंट्री के दोनों छोर में टोल नाका की तर्ज पर इसे शुरू किया गया था। इसमें जितने भी वाहन स्टेशन के अंदर आते उन्हें पर्ची कटानी पड़ती थी और दूसरे छोर से निकलने के दौरान पर्ची दिखाकर निकलते थे। इसे लेकर आए दिन विवाद की स्थिति बनती थी, जो कर्मचारी सवारी छोड़कर तुरंत निकल जाते थे, उनसे भी कर्मचारी पैसे वसूलते थे। बाद में इसमें नियम में बदलाव करते हुए पर्ची में टाइमिंग डाल दिया गया। उस टाइम तक फ्री एंट्री होती थी, लेकिन एक मिनट ज्यादा होने पैसे वसूले जाते थे। आए दिन विवाद को देखते हुए इसे रेलवे ने इसे बंद कर दिया।
वाहन खड़े करने के बाद टाइमिंग को लेकर विवाद स्थिति बन रही थीं। ऑनलाइन सिस्टम में एक चार पहिया वाहन को पार्किंग स्टैंड पर खड़ा करने में तीन से पांच मिनट का समय लग रहा है। इसके चलते यात्रियों की ट्रेन छूटने का खतरा भी बना रहता है, क्योकि जैसे ही गाड़ी पार्किंग के अंदर जाती है, तो वहां पर गाड़ी की लेकर, ऑनलाइन सिस्टम में अपलोड करने में समय लग रहा था।
कई बार ऐप भी काम नहीं करता, जिसके कारण पीछे गाडियों का रैला लग जाता था। विवाद की स्थिति न हो करके पर्ची सिस्टम से ही अधिकतर पार्किंग की रसीद काटी जा रही। कर्मचारियों का कहना है कि ऑनलाइन सिस्टम में जितनी देर एक वाहन को खड़ा कराने में लग रहा है उतनी देर में वह मैन्युअल तरीके से 10 वाहनों की पर्ची काट सकते हैं।